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श्री सिध्दपुर (गुजरात)की सिध्द यात्रा विवरण


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  श्री सिध्दपुर (गुजरात)की सिध्द यात्रा विवरण                 
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           सिध्दपुर की पावन भूमि पर फैले वैभव और विश्वास को । आओ याद करें मिलकर हम अपने गौरवमय इतिहास को।
हमारे देश में धार्मिक, एतिहासिक,सांस्कृतिक, व्यापारिक यात्रायें  प्राचीनकाल से निरन्तर चल रही है।  ऐसी यात्राओं से विभिन्न प्रान्तो के प्राकृतिक संसाधनों,सांस्कृतिक, धार्मिक एवं अन्य रीति रिवाजो से परिचय होता है। ऐसे ही ज्ञानवर्धक  लक्ष को लेकर अ.भा.औदीच्य महासभा मप्र इकार्इ उज्जैन (ग्रामीण) के अध्यक्ष श्री सत्यनारायण जी त्रिवेदी के मानस पटल पर सहस्त्र औदीच्य समाज के उदगम स्थल सिध्दपुर गुजरात की यात्रा करने का विचार उभरा और  उन्होने अपने साथीयों से विचार विमर्श कर धार्मिक यात्रा सिध्दपुर (गुजरात )के साथ व्दारकापुरी,नागेश्वर ज्योर्तिलिंग, सोमनाथ, जूनागढ, डाकोरजी तक की यात्रा करने का निश्चय किया ।  यात्रा की समयावधि 18 अगस्त से प्रारम्भ कर 24 अगस्त तक रखी जाकर  प्रतिव्यकित सहयोग राशि रू. 2100- निशिचत की गई ।  भोजन व्यवस्था सामाजिक सहयोग से निशुल्क रखी गई । मालवा क्षेत्र के समाजजनों के मन में सिध्दपुर की यात्रा आकर्षण का केन्द्र थी । सत्य की सदा होती विजय, जब नारायण हो साथ , सिध्दपुर यात्रा के लिये , शिव की भूमि से उठे हजारों हाथ । चार बडी बसों एवं छोटी गाडीयों, रेल के माध्यम से लगभग 300. सदस्य इस धार्मिक यात्रा के सहभागी बने । यह एतिहासकि यात्रा आगे लिखे जाने वाले औदीच्य समाज के इतिहास के स्वर्णिम पृष्ठों में अंकित होगी ।
           दिनांक 18 अगस्त 2012 को प्रात: 8 बजे महामालव धर्मशाला क्षीरसागर उज्जैन से बस यात्रीयों को श्री शिवनारायण जी जागीरदार विधायक उज्जैन दक्षिण,श्री मधुसूदन जी जोशी अध्यक्ष महामालव धर्मशाला क्षीरसागर, श्री डॉ मधुसूदन व्यास उपाध्यक्ष अ,भा,ओ।म।सभा, श्री बालकृष्ण जी पण्डया आदि समाजजनों ने पूजन अर्चन कर विदाइ दी जो लगभग रात्रि 1 बजे सिध्दपुर पहुंची । सभी सदस्यों को ठहरने की व्यवस्था बिन्दु सरोवर   ट्रस्ट के विश्रामगृह में रखी गई थी ।
   19 अगस्त को प्रात:कालीन बेला में सभी सदस्य सिध्दपुर की पावन भूमि पर सिथत मंदिरों के दर्शन तथा सहस्त्र औदीच्य समाज के उत्पतित स्थल को निहारने की लालसा लिये उत्साह के साथ निकल पडे । सभी ने बिन्दुसरोवर,महाकाली मनिदर,बटेश्वर महादेव,बडालेश्वर महादेव, अष्ट भैरव, अरबडेश्वर महादेव,श्री गोविन्द माधव मनिदर,रूद्र महालया,श्री देवशंकर जी बापा गुरू समाधि मनिदर,श्रीस्थल देवी मनिदर आदि स्थानों पर  दर्शन कर दोपहर 1 बजे वापस आये !
   भोजनोपरान्त दोपहर 3 बजे सिध्दपुर सहस्त्र औदीच्य समाज के समाजजनों  एवं मालवा क्षेत्र के समाजजनों का  मिलन समारोह प्रारम्भ हुआ ! इस अवसर श्री अविनाश जी ठाकर अध्यक्ष औदीच्य समाज सिध्दपुर ने कहा कि यहां औदीच्य समाज बडी संख्या में होकर संगठित है। धुलेण्डी पर ध्वजा निकाली जाती है। सिध्दपुर औदीच्य समाज की वेबसार्इड शीघ्र प्रारम्भ की जा रही है। आपने औदीच्य समाज के इतिहास पर भी प्रकाश डालते हुवे सभी प्रकार से सहयोग का आश्वासन दिया । श्री गोविन्दसिंह भाइ जी ,श्री उद्धव जोशी, श्री सत्यनारायण जी त्रिवेदी, श्री सोहन भटट श्री प्रकाश पाण्डे, श्री अरविन्द त्रिवेदी आदि ने श्री गोविन्द माधव के विग्रहो, औदीच्य समाज के इतिहास एवं समाज के संगठन आदि विषयों पर अपने विचार प्रगट किये। बिन्दु सरोवर मातृगया पर तर्पण और पिण्डदान के महत्व पर विस्तृत जानकारी श्री हितेष भाइ जी सिध्दपुर ने दी ! बैठक का संचालन श्री सुभाष पण्डया उज्जैन व्दारा किया गया ।
   सायं. 4 बजे से मानस माधुरी सुश्री हेमलता दीदी ने सामाजिक व्यवस्था पर अपने विचार प्रगट करते हुवे आध्यातिमक प्रवचनों एवं भजनों की प्रवाहमान गंगा बहाइ ! आपने कहा कि फैशन एवं व्यसन ने  देश का बरबाद किया है । मर्यादा नष्ट हो रही है । अनुशासन परिवार में होना चाहिए । श्री सत्यनारायण जी त्रिवेदी की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्हीं के प्रयास से आज हमें अपनी जन्मभूमि सिध्दपुर की माटी को मस्तक पर लगाने का अवसर प्राप्त हुआ है।
   सिध्दपुर औदीच्य समाज के निमन्त्रण पर रात्रि 7 बजे सामूहिक भोज में समिमलित हुए । सिध्दपुर समाज व्दारा किए जाने वाले सामूहिक भोज में सभी सदस्यों को शोला पहनना तथा कुरता बनियान आदि निकालना आवश्यक है। भोजन में नीचे टाटपटटी नहीं बिछाइ जाती है एवं स्वयं को जलपात्र अपने साथ लाना होता है। उज्जैन समाज व्दारा भी इन नियमों का पालन किया गया । इस अवसर मानस माधुरी सुश्री हेमलता दीदी का शाल एवं श्रीफल से सम्मान किया गया । सुश्री हेमलता जी ने अपने उदबोधन में सिध्दपुर औदीच्य समाज के प्रेम की सराहना करते हुए उन्हे उज्जैन आने का निमन्त्रण भी दिया । आंबावाडी इलाके में औदीच्य समाज की विशाल धर्मशाला है।
           20 अगस्त 2012 को प्रात: 8 बजे से विव्दान पणिडत श्री हितेश भाइ ने सामूहिक रूप से सबको हेमाद्री  स्नान कराने के पश्चात मातृगया बिन्दु सरोवर में तर्पण एवं पिण्ड का कार्य विधि विधान से सम्पन्न कराया जो एक एतिहासिक द्रश्य था। जिसने भी इस द्रश्य को देखा भाव विभोर होगया । सभी पूजन सामग्री एवं अन्य साहित्य की व्यवस्था आपके व्दारा की गइ । तर्पण कार्य दोपहर 12-30 बजे सम्पन्न हुआ ।
  आपने तर्पण संबंधी सभी मन्त्रों की विधिवत व्याख्या कर विस्तृत  जानकारी से अवगत कराया। इसके बाद में मातृगया बिन्दुसरोवर में सिथत परशुराम,कर्दम कपिल ऋषियों ,मां देवहुति आदि अनेक मंदिरों  के  दर्शन किए ।
    भोजनोपरान्त सायंकाल 3  बजे से सामाजिक बैठक प्रारम्भ हुइ । बैठक का संचालन श्री सुभाष पण्डया ने किया । अपनी ओजस्वी वाणी के माध्यम से सभी उपस्थित  जनों का स्वागत करते हुए  श्री रघुनन्दन जी शर्मा,अध्यक्ष, अ.भा.औदीच्य महासभा ,श्री दिलीप भाइ जी पण्डया सांसद राज्यसभा,श्री जयनारायण जी व्यास, पर्यटन एवं संस्कृति मन्त्री गुजरात सरकार , श्री उदयसिंह जी पण्डया,उपाध्यक्ष अ.भा.औदीच्य महासभा, श्री अविनाश भाइ ठाकर, अध्यक्ष सहस्त्र औदीच्य समाज सिध्दपुर, श्री अजीत भाइ मारफतिया, श्री विजय भाइ ,श्री सीताराम जी शास्त्री,प्राचार्य संस्कृत महाविधालय सिध्दपुर, श्री किरण भाइ जी शास्त्री, श्री दिनेश जी शुक्ल, श्री हितेष भाइ, श्री सत्यनारायण जी त्रिवेदी को मंच पर आसीन कराया गया। मानस माधुरी सुश्री हेमलता दीदी भी इस अवसर पर उपस्थित हुइ । सर्व प्रथम श्री सोहन जी भटट उज्जैन नेस्वस्तिवाचन  किया साथ ही सिध्दपुर संस्कृतमहविद्यालय  के छात्रों ने भी सामूहिक रूप स्वस्तिवाचन किया । श्री भगवानसिंह शर्मा संगठन मंत्री अ.भा.औदीच्य महासभा ने स्वागत भाषण एवं अतिथि परिचय दिया।  श्री सत्यनारायण जी त्रिवेदी अध्यक्ष अ.भा.औदीच्य महासभा म.प्र उज्जैन ग्रामीण इकाइ ने सभी अतिथियों का पुष्पहार से स्वागत कर इष्टेदव भगवान गोविन्द माधव एवं भगवान महाकालेश्वर का स्मृतिचिन्ह सभी अतिथियों को ससम्मान प्रदान किया गया।
           उदबोधन की श्रृखंला में सर्वप्रथम श्री उदयसिंह जी पण्डया ने कहा कि सिध्दपुर आने की लालसा उनके मन में कइ दिनों से थी और इस लालसा को पूर्णता प्रदान की श्री सत्यनारायण जी त्रिवेदी ने जो प्रशंसा एवं बधाइ के पात्र है। आपने कहा कि औदीच्य समाज के उत्पतित स्थल पर आकर बहुत ही खुशी हो रही है । सिध्दपुर और मालवा के सहस्त्र औदीच्य ब्राम्हण सारे देश के समाजजनों को एक सूत्र में बांध कर इस देश को प्रगति के पथ पर ले जायेगें।
           श्री अविनाश भाइ ठाकर अध्यक्ष सहस्त्र औदीच्य ब्रम्ह समाज सिध्दपुर ने अपने वक्तव्य में कहा कि सारे भारत का औदीच्य समाज यह याद रखें की 1037 तेजस्वी विव्दानों ने रूद्रमहालया की स्थापना की थी । आपने औदीच्य समाज के इतिहास पर विस्तृतरूप से प्रकाश डालते हुए कहा कि सिध्दपुर समाज सदैव हर प्रकार के सहयोग के लिये तैयार है।
           श्री दिलीप भाइ पण्डया ने भाव विभोर होते हुए कहा की समाज की सरस्वती को प्रवाहित होते देख उनका मन खुशी से सराबोर है। आपने बताया की मैने संसद में शपथ संस्कृत में लेकर जैसे ही मैं अपनी सीट पर बैठा उसी समय श्री रघुनन्दन जी शर्मा एवं श्री अनिल जी दवे मेरे पास आये और चाय के लिये लेगये । इस त्रिवेणी संगम ने एक साथ बैठकर सामाजिक हित के कइ विषयों पर चर्चा की । वे क्षण बडे ही अविस्मरणीय है। सिध्दपुर में जो गोविन्द माधव का मन्दिर  है, वहां की दोनों मूर्तियां सरस्वती नदी से मिली थी, इसका प्रमाण है। दोनों मूर्तियां बडी सी सुन्दर होकर हमारा पूरा परिवार सबसे पहले श्री गोविन्द माधव राय जी का दर्शन करते हैं । श्री गोविन्द राय जी की मूर्ति सफेद एवं श्री माधवराय जी प्रतिमा श्याम स्वरूप की है । आप सब समाज जन सिध्दपुर में अपने घर में ही आये हैं , आप सबका स्वागत है। वर्ष 1977 में मैं नगर पालिका अध्यक्ष था तब मैने श्री परशुराम जी की मूर्ति की स्थापना करवाइ थी । आपने कहा कि ब्राम्हण में शक्ति  परशुराम की और बुद्धि  चाणक्य की है । आपने समाज हित के कइ विषयों को छुते हुवे सदैव हर प्रकार के सहयोग करने की बात कही ।
            इसी बीच ग्राम पासलोद तहसील बडनगर जिला उज्जैन के श्री गणेशीलाल जी पण्डया ने अपनी मातृभूमि सिध्दपुर में अपने सपनों का साकार करते हुए रू 10,000-की राशि देकर महासभा की विशेष संरक्षकता सदस्यता ग्रहण की । श्री रघुनन्दन जी शर्मा एवं श्री सत्यनारायण जी त्रिवेदी ने हार पहना कर आपका स्वागत किया ।
           श्री रघुनन्दन  जी शर्मा, अध्यक्ष अ.भा.औदीच्य महासभा ने अपने प्रभावी उदबोधन प्रारम्भ करते हुए कहा कि आज के इस विशाल और गरिमामय आयोजन का देखते हुए मुझे ऐसा लग रहा है कि जैसे सिध्दपुर पर उज्जैन वालों ने कब्जा कर लिया है । कइ वर्षो से भाइ भाइ आपस में बिछुड गये थे जिन्हे भगवान ने आज मिला दिया । दो भाइ जब आपस में मिले तो आनन्द का झरना फुटता है। हम तो सिध्दपुर आने का सोचते ही रहे किन्तु श्री सत्यनारायण जी हमें यहां तक पहुंचा ही दिया । वे बधाइ के पात्र हैं । तत्कालिन परिस्थितियों में हमारे पूर्वजों ने सिध्दपुर को छोड कर धर्म को बचाया जो आज अस्तित्व  में है। उस समय हूए मुगलों के आक्रमण की कल्पना नहीं की जा सकती जिन्होने रूद्र महालय नवखण्डी को नष्ट कर दिया किन्तु रूद्र महालय (शिवलिंग) मुसलमानों से हिन्दुओं के कब्जे में आने पर एक एक माह तक शहद,दुध, दही,शर्करा आदि से अभिषेक किया । यहां की धरती को खोदो तो मिठास मिलेगी जिस पर आज हम गर्व करते है। सहस्त्र औदीच्य समाज के बीच की छोटी मोटी रेखा को हमें तोडना होगा । गुजरात में सभी सहस्त्र औदीच्य ब्राहमण है। सिध्दपुर औदीच्य बहुल क्षेत्र है । अब हम सबको एक होना होगा । हम सूत्र में बंधे तभी मेरी आत्मा को शान्ती मिलेगी। मानस माधुरी सुश्री हेमलता जी के संबंध में आपने बताया कि भगवान का संदेश जनजन तक पहुंचाने वाली ऐसी विभूतियाँ हमारे बीच से ही निकली है। हम सब सत्य के साथ चले,सत्य के साथ जीऐं यही मेरा संदेश है।
           इसके बाद मानस माधुरी सुश्री हेमलता दीदी ने औदीच्य समाज के इतिहास के साथ आध्यातिमक प्रसंगो की वर्षा करते हुए जनमानस को प्रेम के रंग में भिगो दिया।
           श्री जयनारायण जी व्यास पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री गुजरात सरकार,किसी अन्य कार्यक्रम में व्यस्त होने के उपरान्त भी समय निकाल कर सामाजिक आयोजन में उपस्थित  हुवे । श्री सत्यनारायण जी त्रिवेदी ने पुष्पहार पहना कर स्मृतिचिन्ह भेंट किया । श्री व्यास जी ने विलम्ब के लिये  क्षमा प्रार्थना के साथ कहा कि मालवा से औदीच्य समाज के सदस्यों का आगमन हमारे लिए सौभाग्य एवं प्रसन्नता का विषय है । आप सबका स्वागत अभिनन्दन ।  सहस्त्र औदीच्य समाज के लिये मैं हर प्रकार से सहयोग के लिये तैयार हूं । सिध्दपुर के चहुमुखी विकास के साथ बिन्दुसरोवर मातृगया के विकास हेतु गुजरात सरकार व्दारा किए जा रहे कार्यो की जानकारी भी आपके व्दारा दी गइ । श्री सुभाष पण्डया ने समाज के प्रति आपकी भावनाओं की प्रशंसा करते हुए धन्यवाद दिया।
           21 अगस्त 2012 को प्रातकाल 7 बजे यह धार्मिक यात्रा सिध्दपुर से व्दारकापुरी के लिये प्रस्थान कर नागेश्वर ज्योतिर्लिग,सोमनाथ,जूनागढ,डाकोरजी होते हुवे दिनांक 24-25 अगस्त की रात्रि 4 बजे उज्जैन वापस आइ । इस पावन यात्रा में मातृशकित की संख्या उत्साहवर्धक थी । इस यात्रा का वर्णन जब माताऐं अपने बच्चों को सुनायेंगी तो नइ पीढी में भी अपने उत्पति स्थल सिध्दपुर जाने की ललक पैदा होगी और मालवा तथा सिध्दपुर के संबंध और प्रगाढ होते जायेंगें। 
           इस यात्रा को  सफलता के शिखर तक पहुंचाने  में श्री सत्यनारायण जी त्रिवेदी के साथ श्री दिनेश शर्मा खाचरोद ,श्री वासुदेव रावल उज्जैन की भूमिका को कभी भुलाया नहीं जा सकता। आप दोनों श्री त्रिवेदी जी की परछाइ बन कर साथ चले  जो बधाइ के पात्र हैं । अन्य समाज के सदस्यों ने भी अपनी अपनी भुमिका के माध्यम से एक नया इतिहास रच दिया। सहस्त्र औदीच्य समाज के इतिहास के पृष्ठ सिध्दपुर से अन्य राज्यों की विकाय यात्रा के विवरण से भरे है तो 19 और 20 अगस्त 2012 के दो दिन सहस्त्र औदीच्य समाज मालवा के व्दारा अपने उत्पतिस्थल सिध्दपुर में अपनी प्रभावी उपसिथति के लिये लिखे जावेंगें । यह धार्मिक यात्रा सबके मानस पटल पर यादगार बन कर समा गइ है तथा इसके उत्साहजनक परिणाम से अन्य धार्मिक स्थलों की यात्रा का आयोजन संभव होगा ।
 जय गोविन्द माधव ।
                                                                   उद्धव जोशी,उज्जैन

सिद्धपुर विवरण - सिध्‍दपुर ग्राम के मुखिया- श्री गोविन्‍दराय जी - श्री माधवराय जी भगवान

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