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कविता 


कविता क्‍यारी, बीज विचार,कविता को है भावों से प्‍यार ।

कविता में षठरस की छाया, कविता में शब्‍दों का आकार।। 

कविता है गागर में सागर,कविता में उतरा नट नागर । 

कविता रचती सो कहती,कवितामय होता कवि गा कर।।

कविता में अपनेपन का साया,कविता ने सदा हंसाया रूलाया।

कविता का इतिहास पुराना,कविता का रस सबके मन भाया।। 

कविता ने कवियों को बनाया,कविता ने कवियों को सजाया । 

कविता जब सुनों लगती ताजी,कविता ने मनुज का अहं गलाया। ।

कविता मानों तुलसीक़त रामायण,कविता सदाबहार करो पारायण।

कविता बुनो,चुनो और सुनो,कविता से मिल जाते नारायण ।।
                                                                                            उघ्‍दव जोशी उज्‍जैन
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