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असंयंमित जीवन -अर्थात फिर पछताए का होत हे, जब ...

असंयंमित जीवन -अर्थात फिर पछताए का होत हे, जब चिड़ियाँ चुग गई खेत ...: शरीर ओर मन  शक्तियों का अकूत भंडार। केसे प्राप्तहो?    मनुष्य के शरीर ओर मन में शक्तियों का अकूत भंडार भरा हुआ हे। इसको बचाया जा सके तो सर्व सिद्धि पाना संभव हो सकता हे केसे? देखे

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