पेज

औदीच्य बन्धु (पत्रिका) 2013

सहस्त्र औदीच्य ब्राम्हण समाज के हित में प्रसारित अखिल भारतीय औदीच्य महासभा का मुखपत्र । 
मूलत: प्रकाशित पत्रिका"औदीच्य बंधू" प्रतिमाह घर पर पाने के लिए














  
आज ही सदस्यता राशी
  प्रेषित कर सदस्य बने। 
सदस्यता विषयक जानकारी ओर पता आदि 
का विवरण । 

सदस्यता शुक्ल 
सदस्य बनने के लिए  राशी मनीआडर/ड्राफ्ट से निम्न पते पर भेजे -
प्रबंध संपादक-     मनमोहन ठाकर  
  ५९३ स्नेह नगर,इंदौर  
अथवा "औदीच्य बंधु  सार्वजानिक न्यास इंदौर के स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया (पलसीकर कोलोनी ब्रांच के) अकाउंट न.'53015573642' में जमा कर सदस्य बने। राशी जमा करके या भेज कर अलग स्पष्ट अक्षरों में पत्र द्वारा अपने हिंदी एवं अंग्रेजी में पूरा नाम ,पता पिनकोड,सहित पूरी जानकारी पत्र प्रषित जरुर करें।
साथ ही इस औदीच्य बन्धु वेब का उल्लेख अवश्य करे ।  
औदीच्य बंधु पत्रिका विषयक कोई भी जानकारी / अपने लेख / रचनाए/ वेवाहिक विज्ञापन /समाचार आदि सीधे औदीच्य बंधु पत्रिका में प्रकाशनार्थ  e mail  <audichyabandhu@gmail.com.>  पर भेज सकते हें।
 इस वेव पर प्रकाशनार्थ
 email  <audichyamp@gmail.com.>  पर भेजना होगा।                                                                                                   

 पत्रिका  विवरण

औदिच्य बंधू सार्वजानिक न्यास द्वारा संचालित,
e mail-<audichyabandhu@gmail.com>
प्रधान संपादक-     
  •  डॉ.ओम ठाकुर  २०५- सुदामा नगर सेक्टर-ऐ इंदौर-९     संपर्क ०७३१-२७९२४५४/मोबा ९९२६०६४६०४
 संपादक-   
  • धर्मेंद्र रावल- 28 चोरसिया सेक्टर सुदामा नगर इंदौर म॰प्र॰  0731-2795251 
प्रबंध संपादक-  
  •    मनमोहन ठाकर-- ५९३ स्नेह नगर,इंदौर फोन.०७३१-२४६६४१३.मोबा.-९४२४५९४२०८
 सह संपादक 
  • मुकेश जोशी  ---  १०८,मंगलम अपार्टमेन्ट वेद नगर नानाखेड़ा उज्जैन                  फोन-०७३४,२५१९९४४,मोबा-९९२६३००९७३
  •  उद्दव जोशी- ऍफ़,५/२०एल,आइ,जी,ऋषिनगर,उज्जैन. फोन-०७३४,२५१५६७७,मोबा-९४०६८६०८९९
(सभी बन्धु अवगत हों की" औदीच्य बन्धु " माह ओक्टुबर 2012  के प्रष्ट क्रमांक ६ के अनुसार  एक जनवरी  2013 सभी प्रकार की सदस्यता की राशि बड़ाई जा रही हे| )
सदस्य [पञ्च वर्षीया] -रु -750  / संरक्षक सदस्य [15 वर्ष] राशी रु -1500 /
पता-प्रबंध संपादक
 श्री मनमोहन जी ठाकर ,593,स्नेह नगर ,इंदौर, 452001-मोब. न.-094245-94208 /0731-2466419
 सदस्यता हेतु 
राशी रु.1500/-संरक्षक सदस्य -/या  रु. 750/- पञ्च वर्षीया सदस्यता हेतु 
ड्राफ्ट/MO (आदि) द्वारा निम्न पते पर प्रेषित करें।
अथवा 
"औदीच्य बंधु  सार्वजानिक न्यास इंदौर के स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया (पलसीकर कोलोनी ब्रांच के) काउंट न.'53015573642' द्वारा जमा करने पर  सदस्यता शुल्क + रुपये 25 /-  [बैंक कमीशन अतिरिक्त]
 जमा कर सदस्य बन सकते हें।  राशी बैंक में जमा करके या ड्राफ्ट/MO (आदि) द्वारा, भेज कर 
अलग स्पष्ट अक्षरों में पत्र द्वारा अपने हिंदी एवं अंग्रेजी में पूरा नाम ,पता पिनकोड,सहित पूरी जानकारी पत्र  द्वारा / अथवा E Mail <audichyabandhu@gmail.com> पर अवश्य प्रषित करें ।
साथ ही इस औदीच्य बन्धु वेब का उल्लेख अवश्य करे ।  

=========================================
औदीच्य बंधु - 2013 
    नव वर्ष की शुभकामनाये  

औदिच्य बंधू पत्र को प्रकाशित होते हुए यह  89 वाँ वर्ष हे| इस मासिक पत्र का जन्म वसंत पंचमी (माघ शुक्ल पंचमी ) सम्बत १९८३  को मथुरा उत्तर प्रदेश  में हुआ था | जोशी बाबा, श्री चन्द्र प्रकाश जी त्रिवेदी इस पत्र के आद्य संपादक थे | 
तब से आज तक कई पड़ाव पार करता हुआ | इस स्तर  तक पंहुचा  हे | महगाई के इस दोर में भी इसका वर्तमान शुक्ल अन्य पत्रिकाओ की तुलना में बहुत ही कम हे | इसको समाज के लिए उपयोगी बनाए जाने के सत्प्रयत्न लगातार  चलते रहते हें| आर्थिक रूप से सुद्र्ड  रखना हम सब जाती बंधुओ की जिम्मेदारी हे | इसको जिम्मेदारी के तहत कई बड़ी रशिया अधिकतम ३१०००/ रु तक के कुछ ही  विशेष सदस्य हें| इसी हेतु अन्य सभी से आशा की जाती हे | संरक्षक सदस्य बनने हेतु मात्र रु 1500/ हें | जमा कर सदस्य बन कर समाज को सहयोग की अपेक्षा सभी से की जाती हे | आप सबका साथ मिलकर नए और जाग्रत और जीवंत होने की सभी से अपेक्षा हे|
आज  ही  सदस्यता  राशी  निम्न पते पर प्रषित कर सदस्य बने.  
  पर राशी (आजीवन - रु.1500 /-) ड्राफ्ट/MO (आदि) द्वारा प्रेषित कर सहयोग करे | 
धन्यवाद|  
सहस्त्र औदिच्य  ब्राम्हण  समाज के हित में प्रसारित   
डॉ. मधु सूदन व्यास  
*********
औदीच्य बन्धु




 अखिल भारतीय औदिच्य महासभा की मुख पत्र इस पत्रिका को प्रकाशित होते हुए ८७ वर्षा हो गए हें | अधिकांश हिंदी भाषी समाज जन इससे अच्छी  तरह से परिचित हे| विचारा जा सकता हे कि इतनी वयोवृद्ध इस पत्रिका ने कई विद्वानों की कलम को अपने में समेटा होगा|  बहुत सारे उतार चड़ाव देखे होगे इसीकी मात्र  कल्पना ही  की जा सकती हे | हमारे कई बुजुर्ग महानुभाबो का इसको इस स्तर पर ले जाने में अपना योग दान, धन/ समय / अथक प्रयास करके किया 

होगा और कई रूप बदलते हुए आज भी हमारे सामने सर उठा कर खडी हे | पर आज इसे लोगो की कमी नहीं हे जो की केवल छिद्र देखते हें| बिना देखे ही आलोचना करते हें | समाज की इस संबाद सेवा ने आज संपूर्ण भारत के समस्त 

जाती बंधुओ को एक सूत्र में बांध रखा हे यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा | आज इस पत्रिका के सदस्यों की इतनी सीमित संख्या का होना बड़ा ही खेद जनक विषय हे | नई पीडी समाज के बारे में केसे जानेगी जबकि हम पत्रिका के सदस्य ही नहीं हें | 
पत्रिका का इस नए अंक का मुख प्रष्ट वर्तमान परिद्रश्य को समेटे हुए ,अन्दर का हर प्रष्ठ समाज की गतिविधियों से भरपूर,साहित्य ,/जन परिचय / निशुल्क प्रकाशित वैवाहिक विज्ञापन /और समाज की हर उस बात को सजोये हुए हे जो आज की जरुरत हे | पर भारत भर में मुट्ठी भर के पास इसका पहुच पाना आश्चर्य सा लगता हे | इस के माध्यम से मे सभी का द्यान इसकी और खीचना चाहता हूँ | क्या हम सबका यह फर्ज नहीं की इसके पाठको की संख्या में वृधि करने का प्रयास करे | मेरा अनुरोध हे की इसके सदस्य बने | आज भी इस पत्रिका का सदस्य अन्य की तुलना में बहुत कम शुक्ल पर भेज कर बना जा सकता हे|
------------------------------------------------------------------------------------------------------
समाज का अन्य प्रकाशित डिजिटल अंक 

----