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चिर यौवन का रहस्य।

चिर यौवन का रहस्य।  
 बूढ़ा कोन ?  क्या आयू  अधिक हो जाने से कोई बूढ़ा है?
मेरे विचार से जब भी जो व्यक्ति किसी भी नई बात को सीख नहीं सकता या नया काम नहीं कर सकता दूसरे शब्दो में कहें तो स्वयं को बदल नहीं सकता वह व्यक्ति ही बूढ़ा होता है।  
आयु की अधिकता या परिपक्वता के समय तक, प्रत्येक मनुष्य का अधिकतम विकास होता रहता है। इस परिपक्व आयु के समय जब उसे लगाने लगता है, की उसका काम पूरा हो गया, उसने सब कुछ जान लिया, और अब जानने या करने योग्य कुछ शेष नहीं बचा है, बस यही वह क्षण है, जहां से व्यक्ति बूढ़ा होना शुरू हो जाता है। उसकी तमाम इंद्रियाँ साथ छोड़ने लगतीं हें।
इसके विपरीत जो व्यक्ति हर समय (आयु की परिपक्वता के बाद भी,) कुछ न कुछ सीखने या जानने का प्रयत्न करता रहता है, वह उत्साही चिर युवा बना रहता है।  कहा गया है - मन के हारे हार है, मन के जीते जीत।
यदि हम यह कामना करते रहें, की हम शतायु होंगे, हमारे सुनने देखें की क्षमता बनी रहेगी, हम दीन हीन, पराधीन नहीं, अपना सब काम स्वयं कर सकते हें, मनुष्य की आयु परमात्मा ने सौ वर्ष दी है तो फिर में निश्चय ही सौ वर्ष तक जीवित रहूँगा। तो कोई कारण नहीं की वह बूढ़ा हो जाए।
शरीर विज्ञानियों ने यह सिद्ध किया है, की शरीर की करोड़ों पुरानी कोशिकाएं प्रति क्षण नष्ट होती हें, और उतनी से अधिक पुन: बन जातीं हें। मस्तिष्क के कोषों पर भी भी जितना अधिक दवाव या जौर डाला जाए, उतने ही अधिक संख्या में, अधिक सक्षम और नवीन बनते रहते हें, और इसके विपरीत जितना अधिक आराम उन्हे दिया जाए, काम न होने से वे उतने ही अधिक तेजी से कम, और निर्बल होने लगते हें।
आयु की परिपक्वता के समय भी यही होता है, अधिकतर व्यक्ति कुछ भी नया सीखने जानने या करने के बजाय यह विचार करते हें, की अब बहुत कर लिया अब तो आराम करना  चाहिए, - बस यहीं से उनका बुढ़ापा शुरू हो जाता है, और वे धीरे धीरे निर्बल, पराधीन बुड्ढे होने लगते हें। कई कम आयु के जवान व्यक्ति भी इसी सौच के चलते असमय बूढ़े हो जाते हें।
बुढ़ापे को दूर रखने का सबसे अच्छा उपाय है, की हम हमेशा अपने मन में अपनी युवावस्था की गतिविधियों को सामने रखें, अपने मन को वैसा ही तरोताजा, प्रफुल्लित लचीला अनुभव करें। शरीर की फिजिकल सक्रियता,और मानसिक सक्रियता वनाए रखने के लिए यही सौचें, कि में सब कुछ कर सकता हूँ, और सतत नया करते रहें, सीखते रहें,  तो बुढ़ापा समय अर्थात सौ वर्ष से पहिले आ ही नहीं सकता।      
डॉ मधु सुदन व्यास

26 जुलाई 2014        

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