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दृष्टि हीनों के मसीहा- श्री संदीप त्रिवेदी के जज्बे को प्रणाम!

श्री संदीप त्रिवेदी के जज्बे को प्रणाम! 

  बांसवाडा राजस्थान निवासी 30 वर्षीय युवक श्री संदीप त्रिवेदी, पुत्र श्री विजय कुमार और माता हेमलता त्रिवेदी, देवयोग वश तीन वर्ष की आयु में अपने नेत्र दृष्टि खो बेठे, माता-पिता की छत्र-छाया में १९९३ में अंध विद्यालय में प्रवेश कर शीघ्र ही अपने मेधावी होने की बात सिद्ध कर दी| 

  2004 में 12 वी उत्तीर्ण कर 2007, में स्नातक, 2008 में बी एड, 2010 में अंग्रेजी में एम् ए कर व्याख्याता बने और अब 2012 में सीनियर सेकेंडरी स्कुल अजमेर में सामान्य बच्चो को अंग्रेजी पढाते हें| 
श्री संदीप त्रिवेदी अजमेर .
  वर्ष 2006 में श्री संदीप दृष्टिवाधित भारतीय क्रिकेट टीम में सम्मलित होकर पाकिस्तान मेच खेलने भी गए| 

  स्वयं दृष्टिहीन होने के कारण उन्होंने अन्य दृष्टि हींन व्यक्तियों के कष्ट को समझा, और उन्हें आत्म निर्भर और आम व्यक्तियों के टक्कर में खड़ा करने के उद्धेश्य से प्रतियोगी परीक्षाओं में सफ़लता अर्जित करने के लिए, अपने सूझ-बुझ से परीक्षा सामग्री, पाठ्यक्रम, आदि को विस्तार से तैयार कर आडियो रिकार्डिग सीडी बनवाईं| 

  उन्होंने दृष्टिहीन छात्रों हेतु न केवल अंग्रेजी की वरन कई प्रतियोगी परीक्षाओं पी ई टी, एल एल बी, की सामग्री की सीडी भी अपनी पत्नी के सहयोग से निशुल्क प्रदान कर हजारों दृष्टि-हीनो को लाभ पहुँचाया है, आज उनके इस प्रयास से राजस्थान ही नहीं उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, बिहार, आदि 14 से अधिक राज्यों के दृष्टिहीन बच्चे लाभ उठाकर रेलवे, बेंक, अदि कई क्षेत्रों में रोजगार पा चुके हें| श्री संदीप को यदि कोई विद्यार्थी अपनी कोई पुस्तक देता है तो वे उसकी पाठ्य सामग्री की आडियो सीडी बनाकर उसकी सहायता करते हें| 

  श्री संदीप को कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरुस्कारों से नवाजा जा चूका है| समाज के इस यशस्वी युवक के इस कार्य के लिए सभी समाज जन प्रशंसा करते हें, और शुभ-कामनाएं प्रदान करते हें|

  उनके इस जज्बे को प्रणाम|

डॉ मधु सूदन व्यास उज्जैन 
20/02/2015
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