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श्रीस्थल प्रकाश हिन्दी भाष्यांतर ग्रंथ का उसके संपादक मण्डल द्वारा, सिद्धपुर गुजरात में भगवान गोविंद माधव के चरणों में समर्पण।

उज्जैन 14 फरवरी 2014

    श्रीस्थल प्रकाश हिन्दी भाष्यांतर ग्रंथ संपादक मण्डल का सिध्दपुर भ्रमण।
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      इतिहास सदैव भूतकाल की स्मृतियों/ घटनाओं का लेखा जोखा सुरक्षित रखता है, और जिज्ञासु भूतकाल से वर्तमान एवं भविष्य के हितार्थ कुछ संदर्भ खोजने का प्रयास करता है। इसी जिज्ञासा और श्रीस्थल प्रकाश हिन्दी भाष्यांतर ग्रंथ का सिद्धपुर गुजरात में भगवान गोविंद माधव के चरणों में समर्पण हेतु ‘‘ श्री स्थल प्रकाश’’ हिन्दी भाषान्तर ग्रन्थ के सम्पादक गण, श्री प्रकाश दुबे, डॉ मधुसूदन व्यास, उद्धव जोशी, एवं सोहन पण्ड्या व्दारा औदीच्य ब्राह्मणों के पवित्र तीर्थस्थल सिध्दपुर की यात्रा 4 फरवरी से 8 फरवरी तक की गई।
सांसद श्री दिलीप भाई पंडया जी को श्रीस्थल हिन्दी भेंट की।
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यात्रा का प्रमुख उद्देश्य भगवान श्री गोविन्द माधव को ग्रंथ समर्पण के साथ श्री स्थल प्रकाश में वर्णित सभी तीर्थ स्थलों का अवलोकन, दर्शन एवं सिध्दपुर के समाजजनों की सामाजिक गतिविधियों के साथ वहाँ से औदीच्य ब्राह्मणों से संबंधित लिखित साहित्य को प्राप्त करना, सध्य प्रकाशित श्रीस्थल प्रकाश की त्रुटियों आदि पर सिद्धपुर औदिच्य बंधुओं से परिचर्चा ओर गौत्र ओर कुलदेवी विषयक शोध करना भी था। 
इस यात्रा में मालवा और गुजरात के ब्राह्मणों  में स्नेह एकता स्थापित करने में प्रमुख भूमिका निर्वाह करने वाले श्री सत्यनारायण जी त्रिवेदी, अध्यक्ष अ.भा. औदीच्य महासभा जिला उज्जैन ग्रामीण, श्री वासुदेव रावल, पं. कैलाशचन्द्र शर्मा, अशोक पण्ड्या, श्रीमती भागवन्ती बाई प्रकाश जी दुबे, श्रीमती इन्दिरा उद्धव जोशी एवं श्रीमती कविता सौहन पण्ड्या थे।
 सिद्धपुर नगर की भूमि पर पैर रखते ही श्री प्रकाश जी दुबे के पूर्वजों को याद करते हुए माटी को माथे पर धारण करने का द्रश्य अभूत पूर्व था।
श्रीस्थल गुजराती भाषांतर के प्रकाशक
श्री अजित भाई त्रिवेदी(मरफतिया)को हिन्दी भाषांतर भेंट की
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 नगर प्रवेश के पश्चात सर्वप्रथम सिध्दपुर में मण्डी बाजार स्थित भगवान श्री गोविन्द और माधव के अति प्राचीन मन्दिर में जहां उनका भव्य नवीन श्रंगार प्रतिदिन किया जाता है, के दर्शन करने के पश्चात ‘‘ श्री स्थल प्रकाश’’ हिन्दी भाषान्तर ग्रन्थ का पूजन कर इष्टदेव श्री गोविन्द माधव को अर्पित किया।
इसके पश्चात हमारे मार्ग दर्शक श्री अविनाश भाई ठाकर, हम सबको ‘‘ पराम्बा निवास सिध्दपुर सहस्त्र औदीच्य ब्राहमण ज्ञाति धर्मशाला अम्बावाडी’’ गए।
 सिध्दपुर समाज की सन 1953 (मुख्य व्दार पर उल्लेखित) में निर्मित यह विशाल धर्मशाला धर्मशाला का परिसर विस्तृत एवं विशाल होकर दो भागों में बटा हुआ है! एक भाग में समाज के भोजन आदि की व्यवस्था है, दूसरे भाग में औदीच्य समाज की माँ अम्बिका का 150 वर्ष पुराना प्राचीन मन्दिर निर्मित है। प्रतिवर्ष माघ मास की दूज तिथि से सात दिन तक का पाटोत्सव (वार्षिकोत्सव) नगर परिक्रमा के साथ विशाल पैमाने पर मनाया जाता है। सातों दिनों तक माताजी के मनोहारी श्रृंगार के साथ प्रत्येक दिन शैर, कुकडा, गज आदि विभिन्न वाहनों की सवारी करती दर्शन देतीं हें।
इसी परिसर में औदीच्य सहस्त्र ब्राहमण महिला उत्कर्ष मण्डल सिध्दपुर व्दारा महिलाओं को सिलाई/कटाई का प्रशिक्षण दिया जाता है! पास में ही ज्ञानदीप बाल स्कूल में सर्व समाज के छोटे छोटे बच्चे पठन-पाठन करते हैं। उपर वाली मंजिल पर संस्कृत गुजराती के माध्यम से कम्प्यूटर प्रशिक्षण दिया जाता है। इस संस्थान में कु. कृपा ठक्कर व्दारा प्रशिक्षण दिया जा रहा है। कम्प्यूटर से संस्कृत के प्रशिक्षण संबंधी सम्पूर्ण जानकारी संचालक श्रीमती जान्हवी शुक्ला ने संस्कृत भाषा में देकर सबको भाव विभोर कर दिया। हमारे साथी श्री कैलाशचन्द्र जी शर्मा जो संस्कृत भाषा के शिक्षक विव्दान हैं, के व्दारा भी संस्कृत में संभाषण कर वातावरण को आध्यात्मिक बना दिया।
यहां समाज के युवक युवतियों को नि:शुल्क प्रशिक्षण देकर उत्तीर्ण होने पर शासकीय प्रमाण पत्र दिया जाता है।  इसका सम्पूर्ण आर्थिक भार भरत भाई शुक्ला, जयन्ती भाई, निश्चल भाई उपाध्याय उठा रहे हैं !  प्रत्येक बच्चे से काशन मनी के रूप में लिये रू. 500/-  शिक्षण के उपरांत वापस कर दीये जाते हैं। इसी के पास सर्व सुविधायुक्त एवं  सुसज्जित विशाल कांफ्रेस हाल बना हुआ है, जो शिक्षण के साथ समाज के लिए भी उपयोगी है।
सिद्धपुर औदीच्य ब्राह्मण समाज की गतिविधियां
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सिध्दपुर में श्री समाज विकास ट्रस्ट, अम्बावाडी जिसके प्रमुख भी श्री अविनाश भाई ठाकर हैं, ने बताया कि यहाँ से समाज की विधवा महिलाओं एवं आर्थिक स्थिति से कमजोर परिवारों को प्रतिमाह आर्थिक सहयोग दिया जाता है। केवल 1/- एक रुपए के शुल्क पर धर्मशाला व्यक्तिगत विवाह ओर यज्ञोपवीत आदि सामाजिक कार्यों के लिए प्रदान की जाती है
सामूहिक विवाह एवं यज्ञोपवित, सामूहिक विवाह आदि पर जाति भोज होता है जिसका विशेष महत्व है। कुटीर उद्योग के तहत मूर्ति निर्माण, टाटपटटी आदि के लिए तकनीकी शिक्षण के साथ आर्थिक सहयोग भी दिया जाता है। शासन से मान्यता प्राप्त इस संस्था व्दारा सर्व मान्य प्रमाण पत्र भी दिया जाता है।        
 यात्रा के दौरान हमने सिध्दपुर के विशाल शासकीय ग्रन्थालय को ‘‘ श्री स्थल प्रकाश’’ हिन्दी भाषान्तर ग्रन्थ की प्रति भी भेंट की।  ग्रन्थालय में हमने सहस्र औदीच्य ब्राह्मणो से सबबन्धित साहित्य के अनेक ग्रन्थ देखे व कुछ पुस्तकों से महत्वपूर्ण प्रष्ठों की फोटो प्रतिलिपियां भी तैयार करवाई। “औदीच्य बंधु” का फरवरी 14 का अंक भी हमने प्रदान किया।
  सिद्धपुर नगर में प्रवेश करते ही यात्रियों को ‘‘बिन्दु सरोवर तीर्थ’’ के दर्शन हो जाते हैं। यहाँ परशुराम जी एवं भगवन श्री कृष्ण ने अपनी माता का श्राध्द तर्पण किया था। यहां के श्रध्दालुजन तर्पण, श्राध्द आदि करने के लिए प्रतिदिन आते हैं। यहाँ कर्दम ऋषि, माता देवहूति, कपिल मुनि आदि की मूर्तियां स्थापित हैं।
सिद्धपुर के पुस्तकालय में खोज बीन
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  आज से केवल 25 वर्ष पूर्व जल से परिपुरित रहने वाली सरस्वती नदी जिसका विशाल पाट आज भी इसका गवाह है, वर्तमान में महीन रेती के अंक में भूमिगत होकर बह रही हो सकती है। शुष्क सरस्वती नदी के तट पर स्थित नरतीर्थ, अष्वतीर्थ, महोदय तीर्थ,  एक व्दार तीर्थ  जरूर हें पर अब यहां कोई नदी तट स्थल नहीं हैं।
   दर्शनीय स्थानों में सिद्धपुर स्थित भग्नरूद्र महालय, सूर्य कुण्ड, बटेश्वरर महादेव, सोमेश्वर महादेव, केदारेश्वर, ब्रम्हाण्डेश्वर, बाल्केश्वर, अष्ठ भैरव, आदि सिद्ध मंदिरों के दर्शन किए।
   शुष्क सरस्वती नदी के तट पर स्थित श्री गुरू महाराज पुण्य स्मृति सर्वमंगल ट्र्स्ट में सर्व सुविधायुक्त आवासीय कमरों में ठहरने का हमें अवसर मिला। यह स्थान रमणीक होकर संतो एवं आध्यात्मिक जनों की साधनास्थली है। इसके परिसर में दत्त मन्दिर, श्री गुरूकृपा सिध्दपीठ, श्री स्वयम्भू अरडेश्वर महादेव मन्दिर, शाकम्भरी माताजी का मन्दिर, श्रीराम सत्संग भवन, श्री देवशंकर बापजी का आश्रम, गौशाला, यज्ञशाला, समाधि स्थल जैसे कई दर्शनीय स्थान है।   
 सिध्दपुर को पर्यटन केन्द्र बनाने की द्रष्ठि से गुजरात सरकार द्वारा इस एतिहासिक और प्राचीन तीर्थ को नये रूप में विकसित किया जा रहा है!
 सिध्दपुर के आसपास बसे ग्रामों में औदीच्य जन भारी संख्या में निवासरत होकर अपनी
 शक्टांबिकामाता 
कुलदेवी जी के प्रति श्रध्दा और आस्था के फलस्वरूप प्रतिवर्ष सामूहिक रूप से पाटोत्सव के आयोजन करते रहते हैं।  सिद्धपुर के समीप स्थित  सहस्त्र कला माताजी, उमिया माताजी उंझा, ग्राम जगाना में महागौरी, ग्राम नागवासा में धारम्बादेवी, और पासवदल में गौतम गौत्री ब्राहमणों की शक्टांबिकामाता के शताब्दी समारोह (पाटोत्सव) में अन्य कई वर्ग के कुलदेवी के उपासकों की एक लाख से अधिक की उपस्थिती के बीच हमको भी सम्मिलित होने का पावन अवसर मिला, जो आनन्ददायी था। 
राह के मध्य ग्राम पालनपुर में उच्च शिक्षित एवं सम्पन्न औदीच्य परिवारों से भेंट से औदीच्य समुदाय की उन्नत विकसित जीवन प्रणाली ने प्रभावित किया ।
 यात्रा में सहस्त्र औदीच्य समाज सिध्दपुर के अध्यक्ष श्री अविनाशभाई ठाकर, श्री अजीत जी त्रिवेदी (मारफतिया), श्री प्रवीणभाई ठाकर, युवा श्री ध्रुव दवे पत्रकार, गोपाल भाई पण्ड्या, महेश जी ठाकर, नरेन्द्र जी दवे, भानूभाई रावल, जयेश भाई दवे, कश्यप गौत्र के इतिहास लेखक श्री के.पी.जोशी, प्रसिध्द वकील श्री शंभू प्रसाद जी, के साथ सर्वब्राह्मण समाज गुजरात स्टेट के युवा अध्यक्ष श्री शैलेश जोशी जी के स्नेह, सहयोग आतिथ्य ने हमें गदगद कर दिया।  सभी ओर मालवा और गुजरात के औदीच्यों की एकता के प्रति उत्साह देखने को मिला ।
 सहस्त्र औदीच्य ब्राह्मणों की सिध्दपुर नगर की पावन धरा की माटी को मस्तक से लगाकर 08/02/2014 की प्रात: 7 बजे हम सब “अम्बा माता” के दर्शनों की ओर अग्रसर हुए। जहां से संध्या 8 बजे उज्जैन पहुँच कर यात्रा समाप्त की।

जय गोविंद माधव

14/02/2014
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