मालवा को गुणगान ...मालवा गीत |
मालवा को गुणगान ...मालवा गीत
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राजेश भंडारी बाबु |
गुजरात के सिद्धपुर से चलकर सारे देश में औदिच्य ब्राम्हण समाज स्थापित हो गया। इसी के साथ बहु संख्यक औदिच्य ब्राम्हण "मालवा" में भी आकर बस गये। उज्जैन,इंदौर,रतलाम,मंदसौर,देवास,शाजापुर,में और इनके आसपास के लगभग सभी ग्रामीण अंचलों में आकर बसे औदिच्यो ने स्थानीय भाषा को अपना लिए आज इस क्षेत्र के सभी समाज जन जिनकी संख्या लाखों में हे, इस भाषा में रच बस गये हें । इनमे से एक इंदौर के राजेश भंडारी जी जिन्हें बाबु भी कहते हें मालवी साहित्य और भाषा में अपना स्थान बनाया हें। उनकी रचनाओ की झलक इस और उनके अन्य बीडीओ में देखने मिलती हे।
प्रस्तुत हे । उनके अंश,जो मालवी भाषियों समेत सभी अन्य हिंदी भाषियों को भी आनंद देंगे।
डॉ.मधु सूदन व्यास
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