- पांच रात्रि तक कमल का फुल बासी नही होता । दस रात्रि तक बिल्वपत्र बासी नहीं होता । ग्यारह रात्रि तक तुलसी दल बासी नहीं होता ।
- शंकर जी को बिल्वपत्र,विष्णु भगवान को तुलसी,गणेश जी को दुर्वा लक्ष्मीजी को कमल और दुर्गा को लाल फूल प्रिय हैं ।
- पत्र,पुष्प,फल को नीचे मुख करके नहीं चढावें ,जैसे उत्पन्न होते हैं वैसे ही चढावें किन्तु बिल्वपत्र उल्टा करके सुधार कर चढावें 1 खाण्डित बिल्वपत्र वर्जित है । पान के अग्रभाग की डंडी तोडकर चढावें ।
- विष्णु को चांवल,गणेश जी को तुलसी,दुर्गा और सूर्य को बिल्व पत्र नहीं चढाना चाहिए ।
- आरती भगवान के चरणों की बार बार ,नाभि की दो बार ,मुख की तीन बार एवं समस्त अंगो की सात बार आरती उतारें ।
- मेरूहीन माला या मेरू का लंघन करके माला नहीं जपनी चाहिए ।
- चंदन माथे पर लगाना शोभा तो देता ही है, इससे मस्तिष्क हमेशा ताजा रहता है ।
- जप,ध्यान,साधना को जितना हो सके गुप्त रखो ।
- दीपक से दीपक नहीं जलाना चाहिए ।
- देवता का पूजन देवता बनकर करों ।
- स्नान करके तिलक अवश्य लगाना चाहिए ।
- बडों को प्रणाम करते समय उनके दोनों पैरों को अपने बायें हाथ से छूकर प्रणाम करें ।
- परिक्रमा चंडी की एक,सूर्य की सात,श्री गणेश जी की तीन,श्री हरी की चार तथा शिवजी की आधी परिक्रमा करें ।
- मंत्र में भगवान की शक्ति होती है । ऐसी भावना रखने से शीघ्र ईष्ट सिध्दि प्राप्त होती है । ..............................................................................................................................
उदीच्य या औदीच्य का अर्थ है, उदीची या सूर्य के उदित होने की दिशा, भारत का उत्तर पूर्व भू भाग, जहाँ प्रमुख रूप से हिंदी भाषियों का निवास है|