भवन बनाने के समय नीव के मूहूर्त में सर्प व कलश जमीन में क्‍यों डालते हैं?

  • भवन बनाने के समय नीव के मूहूर्त में सर्प व कलश जमीन में क्‍यों डालते हैं?
     हिन्‍दू पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार शेषनाग के मस्तिष्‍क(फण) पर यह सारी प्रथ्‍वी टिकी हुई है । इसलिए ऐक चांदी का सर्प बना कर उसमें शेषनाग की प्रतिष्‍ठा की जाती है और उसे नींव में डाला जाता है। इसके पीछे यह भावना रहती है कि जिस प्रकार से शेष नाग प्रथ्‍वी के अक्षुण्‍ण्‍ा रूप को धारण किए हुए है उसी प्रकार से मेरे इस भवन की नींव भी सर्प के मस्तिष्‍क पर स्थिर रूप से स्‍थापित रहे । भूमि के नीचे पाताल लोक है । पाताल लोक का स्‍वामी नाग है । अत: अशुभ के निवारण के हेतु भी नाग का पूजन किया जाता है। चुंकि शेष नाग का निवास क्षीरसागर माना जाता है, अत: कलश में दूध, दही, घी डालकर क्षीरसागर की कल्‍पना कर, उसे मन्‍त्रों व्‍दारा आवाहित किया जाता है। इस कारण इस विष्‍णु कलश में लक्ष्‍मी के रूप में एक सिक्‍का भी डाला जाता है ।जिसे भी कलश के साथ जमीन में डालते हैं । नींव पूजन का सारा कर्मकाण्‍ड इन्‍हीं मनोवैज्ञानिक तथ्‍यों पर आधारित है ।
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