जय गोविन्द माधव
आज
कार्तिक पूर्णिमा अर्थात हम सब औदीच्य ब्राह्मणों के गुजरात सिद्धपुर आने की वर्ष
ग्रंथि| इस दिन की याद् हम अपने इष्ट देव भगवान गोविन्द माधव की जयंती के रूप में
आयोजित करते हें. आज से लगभग एक हजार छब्बीस वर्ष पूर्व उत्तर दिशा से आये
ब्राह्मण जो उदीच्य ब्राहमण कहाते थे| सिद्धपुर आकर सहस्र औदीच्य ब्राह्मण कहाने
लगे| कालांतर में मुस्लिम आक्रमण कारियों के गुजरात आक्रमण, परिवार बड़ने आजीविका
प्राप्ति हेतु अपनी महाराजा मूलराज सोलंकी द्वारा प्रदत्त ग्राम और जागीर को छोड़कर
अन्यत्र जाना पड़ा| जो देश के विभिन्न भागों विशेषकर तीर्थ क्षेत्रों में स्थापित
हुए|
देव
दुर्देव से विपत्ति के कारण हम सबका वैदिक ज्ञान निरंतर अभ्यास की कमी और नई पीडी
को न मिल पाने से नष्ट प्राय हो गया| पिछले पांच विशेषकर २०० वर्ष पूर्व की दासता ने
और भी रहा सहा नष्ट कर दिया| आज हमारे पास ब्राहमण कहलाने लायक केवल नाम रह गया
है| हालाँकि वैदिक ज्ञान के अतिरक्त अन्य ज्ञान की प्राप्ति में समाज ने विश्व में
अपना विशेष स्थान पाया है, इस बात का प्रमाण हमारे कई विद्वतजन वैज्ञानिक,
शोधकर्ता, आदि हें|
एक
बात और जो हमको एक सूत्र में बांधती है वह है, कुलदेवी, इष्ट देव आदि की आराधना|
हम गुजरात से चलकर छोटे बड़े कई समूहों में अलग अलग ग्राम, शहरों में पहुंचे, जहाँ
आजीविका की प्राथमिकता ने सब कुछ अन्य पीछे छोड़ दिया, हम अपने इष्टदेव गोविन्द माधव
से दूर क्या हुए उन्हें भुला बैठे|
अब
जबकि हम सक्षम हें, संपन्न भी हें, और अब
अधिक संख्या में भी हें, तो हमको अपनी विरासत अपनि संतानों को देनी ही होगी|
कार्तिक पूर्णिमा पर हम भगवान गोविन्द माधव की जयंती मना कर संगठन इस महत कार्य को
पूरा कर रहे हें, हमारी आने वाली पीडी हमारे प्राचीन गौरव को जाने, ही नहीं उसको
जीवन में उतारकर पुन: समाज में श्रेष्टता स्थापित कर सके, और राजा और राज्य का सिर
मोर बनकर रहे, फिर अब तो राजा तलवार के जोर पर न बनकर वोट के जोर पर बनते हें तो
हम सब भी संगठित होकर स्वयं शासक प्रशासक या नियंत्रक बन कर गोरव स्थापित क्यों न
करें|
भगवान
गोविन्द माधव जयंती के इस अवसर पर और अनेक अवसर तलाश कर, हम इसी तरह एकत्र हों, यह
संगठन आगे बढाएं, वह शक्तिशाली बने इसी भावना के साथ सभी को शुभ कामनाएं|
डॉ मधु सूदन व्यास
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