Is there anything else more important, than matching the horoscope for marriage?

Is there anything else more important, than matching the horoscope for marriage?
 विवाह निश्चित करने के लिए, जन्म पत्रिका मिलाने से अधिक जरुरी, कुछ और है?
औदीच्य वैवाहिकी विज्ञापन सेवा
पिछले दो तीन दशक से जन्म कुंडली मिलाने का चलन, चरम सीमा पर है, आज “पड़े-लिखे” जो स्वयं को विद्वान समझते हें वे भी कुंडली मिलान को प्राथमिक आवश्यकता मान रहे हें| जबकि 30 40 वर्ष पूर्व अधिकांश विवाह कार्य बिना कुंडली मिलाये किये जाते रहे है, में स्वयं और मेरे हम उम्र अन्य कई मित्र भी बिना जन्म पत्रिका मिलाये विवाह कर आज भी सुखी जीवन जी रहे हें| जबकि पिछले एक दशक से जन्म पत्रिकाएं मिलाने के बावजूद भी कई युवा युवती संतान हीनता, तलाक, अलगाव,  अथवा कडुवाहट भरा जीवन जीने के लिए विवश है|  

अपने समाज में ही जरा इस बात का सर्वेक्षण, (survey) करें, तो पाएंगे की इन उपरोक्त किसी भी एक समस्या से अधिकांश (75% ) युवा इससे पीड़ित है, और मजे की बात यह भी है की अधिकांश मामलों 95 % में उन सभी का विवाह जन्म कुंडली मिला कर ही किया गया था
कुंडली मिलान के इस चक्कर में फस कर अधिक आयुवर्ग के अविवाहित युवा युवतियों के संख्या रिकार्ड छू रही है| अधिक आयु होने से माता पिता की सहमती विरुद्ध भी विवाह हो रहे हें| इससे समाज से वुजुर्गों, माता-पिता आदि की अवमानना, निरादर और तिरस्कार की वृत्ति भी उत्पन्न हो रही है| इससे भारतीय संस्कृति भी गिरावट के स्तर तक जा पहुंची है
ऐसे उदाहरणों की भी कमी नहीं की “विद्वान ज्योतिषियों” की सन्ताने भी कुंडली अच्छी तरह मिलाने के बाद भी अकाल-मृत्यु, विवाह विच्छेद, अलगाव, या कडुवाहट भरा जीवन जीते देखे जा सकते हें|
कितनी सही हो सकती है कुंडली मिलान?
वर्तमान हालत में विवाहित जीवन की सफलता जन्म कुंडली पर निर्भर नहीं रह सकती|  आज हम विज्ञान के उच्चतम लाभों के युग में जी रहे है, ऐसे में यदि आधुनिक विज्ञान का सहारा यदि विवाह के पूर्व हम सब नहीं लेते, तो यह हमारी नादानी ही होगी
में यह नहीं कहता की ज्योतिष परिकल्पना पूरी तरह से मिथ्या है| किसी की भी कुंडली जन्म तिथि, जन्म समय, जन्म स्थान, पर निभर होती है| इनमें जन्म तिथि, या तारीख, और स्थान पर सामान्यत: कोई विवाद नहीं होता|  
परन्तु “जन्म समय” के बारे में कई सवाल हो सकते हें, जिनका उत्तर कहीं नहीं मिलता|
जन्म का समय कोन सा सही होगा?
माता के पेट से बाहर आने का या श्वास लेने का|
अक्सर दोनों समय में लगभग कई - कई मिनिट का फर्क भी होता है| जबकि ज्योतिष मान से गणना सेकेंडों के अतर से प्रभावित होती है, तो फिर पत्रिका सटीक कैसे बनेगी? 1 -2 मिनिट का फर्क भी जातक को मांगलिक या नान मांगलिक बना सकता है|
जन्म समय जब दर्ज किया गया था तब घड़ी क्या बिलकुल सही (सेकेडों में ) थी?
समय दर्ज करने वाली महिला दाई, नर्स, चिकित्सक,  आदि क्या एकदम सही समय नोट कर पाए थे?
एक चिकित्सक और प्रत्यक्ष दर्शी के मान से इस बारे में में यह बताना चाहता हूँ, की बच्चे के जन्म के समय वहां उपस्थित प्रत्येक उपस्थाता (Observer) का सम्पूर्ण ध्यान, दर्द सह रही माता, जन्म लेने वाले शिशु के जीवन के प्रति होता है, जब वे उन दोनों के जीवन के प्रति आश्वस्त हो जाते हें, तब ही कहीं ध्यान समय देखने घड़ी की और जाता है, ऐसे में समय एकदम सही होना अत्यंत मुश्किल हो जाता है, और 95 % मामलों में समय “अनुमान से” दर्ज कर लिया जाता है| ऐसे में घर पर या अचानक से होने वाले प्रसव में समय केवल अनुमान पर ही दर्ज किया गया होता है|
आजकल कई जन्म आपरेशन से हो रहे हें, जिनमें अक्सर शिशु के बाहर निकलने और श्वास दिलाने में बहुत अंतर होता है| आपरेशन से बच्चे का जन्म एक प्रकार से जबरन कराया जाता है, तो फिर भाग्य, कुंडली क्या इससे प्रभावित नहीं होती|
विश्व में प्रति सेकेण्ड लाखों बच्चों का जन्म होता है, ऐसे में एक समय एक साथ कई शिशु जन्म लेते हें, फिर उनकी कुंडली भाग्य अलग अलग क्यों होता है, एक राजा दूसरा भिखारी?
कई लोग अपनी बात सत्य सिद्ध करने इसके लिए पूर्व जन्म, आदि आदि को भी अपने तर्क में शामिल करते हें, ऐसे में यह सवाल है की जब भाग्य पूर्व जन्म आदि से प्रभावित हो सकता है तो फिर “कुंडली मिलान की” क्या जरुरत?
विवाह में सबसे अधिक अडंगा होता है –“मंगल- शनि”-
इसके चलते कई युवा युवतियां प्रोड हो जाने तक भी अविवाहित रहते हें, चरम सीमा पर अंत में वे किसी से भी कोई भी पत्रिका मिलाये बिना ही विवाह सम्बन्ध बना लिया करते हें, पाया गया है की वे सभी बिना अपना जीवन सामान्य जी रहे हें|
25 वर्ष आयु के बाद मंगल प्रभाव नहीं होता|
मंगल के बारे में भी कई भ्रांतियां हें, विद्वान ज्योतिष शास्त्रियों का यह कहना हें की 25 वर्ष की आयु के बाद किसी मंगल शनि का प्रभाव नहीं होता|
यूँ भी मंगल का अर्थ जब शुभ है तो संकट कैसा?
मंगल के विषय में भी कई परिहार या मंगल होने पर भी हानि नहीं होती एसा ज्योतिष शास्त्रों में दर्ज है { देखें फुट नोट [1] }| परन्तु अधिकांश पत्रिका मिलाने वाले इस बात को जानते ही नहीं या श्रम करने से बचते हें|
हाँ यदि “जिजमान चाहे तो अधिक दक्षिणा के बदले ये सब परिहार मिलने लगता है|”
सुखी विवाहित जीवन के लिए क्या देखना जरुरी है?
अधिकांश विवाह में अहंकार, दहेज़ आदि कई समस्यायें गोण होती हैं, पर प्रदर्शित अधिक होती है क्योंकि जो वास्तविक समस्याएं होती है, उनके बारे में लज्जा, संकोच, के चलते अधिकांशत: दोनों पक्ष बताते ही नहीं और तलाक, अलगाव, यहाँ तक की हत्या भी हो जाया करती है|
वास्तविक कारण?
और वह है, नपुंसकता, शुक्राणु हीनता, बंध्यता (बच्चा न होना), आरएच फैक्टर समान न होना, किसी एक या दोनों को एच आई वी, या गुप्त रोग (VDRL) होना, होता है|
इन समस्याओं का एक ही निदान है, की दोनों की शिक्षा, आयु, व्यवसाय, कद काठी, सुन्दरता आदि योग्य मानने के बाद, पत्रिका के बजाय हेल्थ चेक अप को प्राथमिकता दी जाये|  निश्चित रूप से वर्तमान सामाजिक स्थिति को देखते हुए वर या वधु पक्ष एसी मांग करें तो इस बात को अपमान माना जाकर आलोचना हो सकती है| इसलिए प्रत्याशी स्वयं या माता पिता को अपनी सन्तान की यह जांचे करा लेना चाहिए, और पाहिले अपनी स्वस्थ्य जांच रिपोर्ट  विवाह सम्बन्ध तय करने के पूर्व दूसरे पक्ष को देकर उनसे उनकी सन्तान की फिटनेस रिपोर्ट मांगना चाहिए इससे दूसरा पक्ष बुरा भी नहीं मान पायेगा|
यदि जांचों में कोई कमी / त्रुटी आती है तो पहले चिकित्सा करवा लेने पर समस्याएं होंगी ही नहीं|
आरएच फैक्टर-  युवक युवती का यह फेक्टर एक सामान न होने पर गर्भ धारण, प्रसव, आदि समय समस्या के अतरिक्त बच्चे में भी समस्या हो सकतीं है|  
ओवरी की जांच- 30 वर्ष की आयु के बाद अक्सर ओवेरी स्वस्थ्य  नहीं रहती, और माँ बनाने में समस्या हो सकती है , यदि हो तो समय रहते चिकित्सा की जा सकती है|
जेनेटिक टेस्ट – किसी को भी विशेषकर युवकों में 60% रोग जेनेटिक होते हें जो भविष्य में जीवन में संकट पैदा करते हें| 
इन्फर्टिलिटी स्क्रीनिंग – यह जाँच युवक और युवती दोनों की ही करना चाहिए, अरेंज मैरेज हो या लव मैरेज यदि कोई भी सेक्सुअली कमजोर या अक्षम है, तो समय रहते जाँच से समस्या हल की जा सकती है|
एचआईवी टेस्ट – जान लेवा इस रोग का जानना जरुरी है|
यूँ तो शिक्षित और उन्नत समाजों में इन बातों पर पहिले ही ध्यान होता है, परन्तु विवाह पश्चात् भी यदि ये समस्याएं हों या पता चले तो उसकी चिकित्सा करना ही बुद्धिमत्ता होगी, इसके बजाय की तलाक, अलगाव, आदि का कष्ट उठाया जाये|  अस्तु निवेदन है, की विचार करें, की जन्म पत्रिका मिलान चक्कर व्यर्थ है, यदि कुछ मिलान करना ही है तो जाँच करवा कर, स्वस्थ्य शरीर का मिलान करें|  



[1] - मांगलिक दोष में विवाह (Marriage and Manglik Dosha)
manglik-doshकुण्डली में जब प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम अथवा द्वादश भाव में मंगल होता है तब मंगलिक दोष (manglik dosha) लगता है.इस दोष को विवाह के लिए अशुभ माना जाता है.यह दोष जिनकी कुण्डली में हो उन्हें मंगली जीवनसाथी ही तलाश करनी चाहिए ऐसी मान्यता है.ज्योतिशास्त्र में कुछ नियम (astrological principles) बताए गये हैं जिससे वैवाहिक जीवन में मांगलिक दोष नहीं लगता है, आइये इसे देखें.
ज्योतिष विधा के अनुसार अगर कुण्डली में चतुर्थ और सप्तम भाव में मंगल मेष अथवा कर्क राशि के साथ योग बनाता है तो मंगली दोष लगता है (combination of Mars, Aries or Cancer and 4th or 7th house forms Manglik Dosha). इसी प्रकार द्वादश भाव में मंगल अगर मिथुन, कन्या, तुला या वृष राशि के साथ होता है तब भी यह दोष पीड़ित नहीं करता है. मंगल दोष उस स्थिति में प्रभावहीन होता है जबकि मंगल वक्री( retrograde Mars) हो या फिर नीच या अस्त(debilitated Mars).सप्तम भाव में अथवा लग्न स्थान (ascendant)में गुरू या फिर शुक्र स्वराशि (own sign)या उच्च राशि (exalted sign)में होता है तब मांगलिक दोष वैवाहिक जीवन में बाधक नहीं बनता है.
ज्योतिषशास्त्र के नियम के अनुसार अगर सप्तम भाव में स्थित मंगल पर बृहस्पति की दृष्टि(aspect of Jupiter on Mars) हो तो कुण्डली मांगलिक दोष से पीड़ित नहीं होती है .मंगल गुरू की राशि धनु अथवा मीन में हो (Mars in Jupiter’s sign, i.e. Sagittarius or Pisces) या राहु के साथ मंगल की युति (combination of Rahu and Mars) हो तो व्यक्ति चाहे तो अपनी पसंद के अनुसार किसी से भी विवाह कर सकता है क्योंकि वह मांगलिक दोष से मुक्त होता है.अगर जीवनसाथी में से एक की कुण्डली में मंगल दोष हो और दूसरे की कुण्डली में उसी भाव में पाप ग्रह(malefic planet) राहु या शनि स्थित हों तो मंगल दोष कट जाता है.इसी प्रकार का फल उस स्थिति में भी मिलता है जबकि जीवनसाथी में से एक की कुण्डली के तीसरे, छठे या ग्यारहवें भाव (3rd, 6th and 11th house) में पाप ग्रह राहु, मंगल या शनि मौजूद हों.
अगर कुण्डली के प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम एवं द्वादश भाव (1st, 4th, 7th, 8th and 12th house) में से किसी में मंगल मौजूद है और साथ में बृहस्पति या चन्द्रमा है तो मांगलिक दोष को लेकर परेशान नही होना चाहिए.चन्द्रमा अगर केन्द्र स्थान (center house)में है तब भी व्यक्ति को मांगलिक दोष से मुक्त समझना चाहिए.
मांगलिक दोष उपचार: (Remedies for Manglik Dosha)
अगर वर वधू की कुण्डली में इस प्रकार की ग्रह स्थिति नहीं है और मंगली दोष के कारण उससे शादी नहीं कर पा रहे हैं जिसे आप जीवनसाथी बनाने की इच्छा रखते हैं तब मंगलिक दोष के प्रभाव को कम करने के लिए कुछ उपचार कर सकते हैं.ज्योतिषशास्त्र में उपचार हेतु बताया गया है कि यदि वर मंगली (mangli) है और कन्या मंगली नहीं तो विवाह के समय वर जब वधू के साथ फेरे ले रहा हो तब पहले तुलसी के साथ फेरे ले ले इससे मंगल दोष तुलसी पर चला जाता है और वैवाहिक जीवन में मंगल बाधक नहीं बनता है.इसी प्रकार अगर कन्या मंगली है और वर मंगली नहीं है तो फेरे से पूर्व भगवान विष्णु के साथ अथवा केले के पेड़ के साथ कन्या के फेरे लगवा देने चाहिए.
जिनकी कुण्डली में मांगलिक दोष है वे अगर 25 वर्ष के पश्चात विवाह करते हैं तब मंगल वैवाहिक जीवन में अपना दुष्प्रभाव नहीं डालता है.मंगली व्यक्ति इन उपायों पर गौर करें तो मांगलिक दोष को लेकर मन में बैठा भय दूर हो सकता है और वैवाहिक जीवन में मंगल का भय भी नहीं रहता है.
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