मेरी
"कनाडा यात्रा "
"कनाडा यात्रा "
A travel to CANADA
10 दिसम्बर 2010 आया अपने जीवन का ग्रेट |
इंतजार इसका किया कितना किया था वेट || [1]
किंग फिशेर एक पखेरू ,है समुद्र का सुन्दर |
उसी नाम का था जहाज[एरोप्लेन]हम बैठे उसके अन्दर||[2]
उसी नाम का था जहाज[एरोप्लेन]हम बैठे उसके अन्दर||[2]
वह किंग फिशर ले हमें उड़ा,फिर देल्ली [डेल्ही ] की और |
जहाँ लगी है प्रेम की हम सब की ही डोर || [ 4]
जहाँ हमारी प्रेरणा और बसे बकुलेश |
जहाँ हमारी प्रेरणा और बसे बकुलेश |
प्यारी बिटिया अनन्या और अर्नव उस देश || [5]
प्यारी बहु विभूति इधर प्यारा इधर अनूप |
प्यारा अनुभव भी इधर ,सबका मन मैं रूप || [ 6 ]
आये छोड़ने एरोड्रम पर वे दोनों इंदौर |
बार बार मन मैं टेंशन था, था चिंता का दौर || [7 ]
प्रभू ने कर दिया सब कुछ बड़ा सरल |
महा देव ज्यों पि गए, दुःख का सबी गरल [Poison] || 8||
इंदिरा गाँधी एरोड्रम भी कितना बड़ा विशाल |
फैला हुआ कितना बड़ा जहाँ जहाजों का जाल || [9]
बड़े बड़े गलियारे जिन मैं चलते जाते रोलर |
क्षण भर मैं पहुंचा देते हैं ज्यों वालों को बोलर || [10 ]]
चलती फिरती सीडिया खुलते अपने आप हैं,जाते |
ज्यादा देर तक कभी किसी को करना पड़े न वेट || [11]
बोर्डिंग पास ,इमिग्रेशन और हुआ सिक्यूरिटी चेक |
व्हील चीरों ने किया सब कुछ भाईट ब्लैक || [१२]
और रात के पाने दो बजे[1--45 AM]आ गई,आखिर कर वो घडी |
जिस की प्रतीक्षा सभी को रही बहुत ही बड़ी ||[13 ]
हम बैठ गए विमान मैं था वो एयर इंडिया जेट |
परमात्मा की कृपा से जग गया लो फेथ || [14]
लगातार उड़ते रहे फिर 17 घंटे [17 Hours ] साथ |
पता चला ही नहीं कुछ कब दिन था कब रात || [15]
बार बार खाना मिला बार बार स्नेक्स |
क्षण मैं मानो पहुँच गए ज्यों जाता है,फेक्स || [16]
टोरंटो [कनाडा] है शहर बड़ा सात समंदर पार |
पहुँच गए उड़ कर हम दोनों अपने परियों के द्वार || [17]
निचे छुते बीच मैं इस्लामाबाद,रूस आदि कई देश |
अटलांटिक महासागर,अंटार्टिका,हडसन खाड़ी हुए बीच मैं पेश||[18]
और आखिर मैं कनाडा मैं जब बजे घडी मैं आठ,
एयर इंडिया शान से उतरा दिखता ठाट || [19]
और फिर सीढियाँ , घूमतीं और गलियारे चले घूम |
और फिर तो लिफ्ट से शीघ्र ही लिया गंतव्यको चूम||[20]
चैकिंग कस्टम ने किया ,भरा ट्रेवलर फॉर्म |
अन्दर कहीं न ठण्ड थी सब कुछ ही था वर्म ||[2 1]
फिर रोलर से कर लिया अपना सामान कलेक्ट |
दो दो डोल्लर मैं किये ट्रोलीर हमने सेलेक्ट || [ 22 ]
फिर बहार को चल दिए ले अपना सामान |
बहार खड़े बकुलेश जी मानो अपनी जान || [ 23 ]
ट्रोली ले कर चल दिए फिर बहार की और |
अपने आप खुलने लगे सरे ही थे दूर || [ 24 ]
बाहर बड़ा सा पार्किंग चारों तरफ थीं कार |
कहीं एक भी न आदमी कहने का ये सार || [ 25 ]
सभी जगह रोबोट थे,वे ही करते चेक |
ऑटो पे करते रहो हटें सभी हैं जैक [obstacles || [26 ]
श्री बकुलेश जी की कार भी कितनी बड़ी विशाल |
टेक्नोलाजी का बड़ा कितना बड़ा कमाल || [27]
मार्ग बताने के लिए रहा पास मैं यन्त्र [G.P.S.] |
जादू नगरी मैं वाही सरल कर रहा मंत्र || [28]
अपने अपने मार्ग के हट ते थे अवरोध |
सभी कायदे से बंधे कोई न प्रतिरोध || [28]
सब ही थे कानून के सच्चे सब पालक |
अपनी अपनी लेन के सब वहां चालक || [29]
कहीं दिखा न एक भी संतरी और सिपाही [Traffic man ] |
पैदल चलता दिखा न कहीं कोई राही || [30]
जिधर देखिये उधर ही सर्र सर्र करें |
अनन्या,अर्णव प्रेरणा रहे प्रतीक्षा कर||[32]
हलकी हलकी स्नो बारिश मोसम बहुत ही सुन्दर |
थोड़ी देर मैं सारे ही हम थे मकान के अन्दर || [33]
खुल जाता रिमोट से ही है गेरेज का गेट |
न ही कोई हेल्पर न ही किसी की वेट ||[ 34 ]
चारोँ तरफ बने हुए हैं टीक वूड के ही मकान |
हर मकान मैं लगा है हीटिंग सिस्टम सामान ||[ 35 ]
लगता कहीं भी है नहीं ,कहीं दिखे न शीत [cold] |
कोई कहीं न आदमी न कोई बातचीत || [36]
लैपटॉप ,टी .वी., कैमरे, इन मैं ही सब व्यस्त |
अलग तरह की है ये दुनिया, सब के सब ही मस्त || [37]
घर मैं आकर मिल गए अपने प्यारे लोग [People] |
बिटिया रानी अनन्या से आया मिलन का योग|| [38]
धन्य वाद श्री राम का ,धन्य वाद हनुमान |
धन्य वाद श्री कृष्ण जी ,धन्य हे शिव भगवन || 39]
कहीं कोई भी हुई न थोड़ी भी तकलीफ |
निकले पड़ी हैं वृक्ष(tree) से मानो सुन्दर लीफ ||[40]
मैं और मेरी वाइफ श्रीमती कृष्णा व्यास |
काट रहे हैं मजे मैं जीवन के , ये दिन खास || [ 41 ]
विंटर मैं सब झड जाते हैं वृक्षों (trees) के सब पत्ते |
गर्म वूलन पहने हुए ,यहाँ पर सब कपडे लत्ते || [ 42 ]
बने हुए माकन मैं कई सुन्दर बात रूम |
नालों मैं पानी गर्म और ठंडा 24 घंटे धूम || [43 ]
एक तरफ टोंटी करने से आता शीतल जल|
टर्न दूसरी और करें तो आता गरम है जल || [ 44 ]
और कुनकुना पानी बीच मैं ,करें टोंटी यदि टर्न |
और पूरी एकोर यदि कर दें अत शीतल है रिटर्न || [45]
सभी लोग रहें प्रेम से ब्यूटीफुल है अर्थ |
इसको सुन्दर ही रखें यही है पहली शर्त || [46]
फ़ोटो खिंचवा रही है बेटी हमारी अनन्या |
चिरंजीव अर्णव खींचता ,बड़ी हो कर बने सुकन्या || [47]
परमात्मा की कृपा का मिल गया हमें प्रसाद |
जीवन के सारे मिटे पल मैं हैं अवसाद [sorrow ness]||[48]
धन्य वाद भगवन का सब खुशियाँ दिन दल |
ऊपर वाले ने किया कैसा आज कमाल || [49]
कविता लिखने की पड़ी आज "व्यास " को आदत |
हम छोटे से जीव हैं श्री राम करेंगे हिफाजत || [50]
चारों और जहाँ भी देखें हम जिस भी हैं तरफ |
हमें नजर बस आ रही केवल बरफ ही बरफ || [51]
|| डॉ . ओ .पी .व्यास गुना म .प्र. इंडिया
EMail Address ===dropvyaspoet@gmail.com ||
EMail Address ===dropvyaspoet@gmail.com ||
POETRY by DR.O.P.VYAS Nai Sadak GUNA M.P. From BRAMPTION ONTARIO CANADA 9/01/2011 Sunday
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