"औदीच्य बंधु" पत्र ओर "अखिल भारतीय औदीच्य महासभा"के जन्मदाता 'औदीच्य भास्कर'' औदीच्य रत्न श्री शिवप्रकाश जी व्दिवेदी का जन्म मथुरा के प्रसिद्ध औदीच्य रत्न ज्योतिष ----------------
अध्ययन, अध्यापन और स्वाध्याय के अतिरिक्त आप अनेक ग्रन्थों की रचना भी की। ---
-- इनके अतिरिक्त आपने सरस्वती, माधुरी, कल्याण आदि मासिक पत्रों में भी अनेक गवेषणापूर्ण एवं उपयोगी लेख प्रकाशित करवाये। मथुरा की विव्दत सभा एवं विव्दव्दिलास पुस्तकालय के आप प्रधान संचालक रहे। मथुरा से निकलने वाली 'सव्दर्म' नाम संस्क़ृत मासिक पत्र के '' स्मृति खण्ड के आप संपादक थे।
-- इनके अतिरिक्त आपने सरस्वती, माधुरी, कल्याण आदि मासिक पत्रों में भी अनेक गवेषणापूर्ण एवं उपयोगी लेख प्रकाशित करवाये। मथुरा की विव्दत सभा एवं विव्दव्दिलास पुस्तकालय के आप प्रधान संचालक रहे। मथुरा से निकलने वाली 'सव्दर्म' नाम संस्क़ृत मासिक पत्र के '' स्मृति खण्ड के आप संपादक थे।
ज्योतिष यंत्रों का निर्माण ----- ''सार्वदेशिक धूपघडी'' तथा लग्नबोधक घडी भी अदभूत रचना है। जो ---- तिथि, वार, लग्नादि बतलाती है। गोलार्यन्त्र भी आश्चर्यजनक है, जो कि प्रयाग प्रदर्शनी में प्रदर्शित हुआ और उस पर निर्माता को स्वर्णपदक प्राप्त हुआ था।
संवत 1994 में आपने अपने शिवाश्रम नामक उद्यान में ज्योतिष की सुन्दर दर्शनीय यंत्र शाला बनवाकर उसमें अपने पुराने आविष्कारों के अतिरिक्त सभा, यंत्र वृहद गोलार्द, यष्टियंत्र, ध्रुवभित्ति, भूगोल, तुरीय, मर्कटी आदि नवीन यंत्र बनवाकर उन्हे यथा स्थान लगाये थे, जो एक अदभुत संग्रहालय बन गया।
--- आप अच्छे कवि और कुशल चित्रकार भी थे। प्रतिवर्ष आश्विन मास में अपने यहां 'झांसी' (सूखे यंत्र की चित्रकारी) प्रदर्शित करते थे। जिसे देखकर यूरोपियन अधिकारी चमत्कृत होते
--- सन 1911 में जब प्रिन्स आफ वेल्स (जार्ज पंचम) भारत आये थे, तब --- आपको पर्याप्त राज्य सम्मान प्राप्त हुआ ।
कई वर्षो तक आप आनरेरी मजिस्टेट भी रहे ।
--- आप अच्छे कवि और कुशल चित्रकार भी थे। प्रतिवर्ष आश्विन मास में अपने यहां 'झांसी' (सूखे यंत्र की चित्रकारी) प्रदर्शित करते थे। जिसे देखकर यूरोपियन अधिकारी चमत्कृत होते
--- सन 1911 में जब प्रिन्स आफ वेल्स (जार्ज पंचम) भारत आये थे, तब --- आपको पर्याप्त राज्य सम्मान प्राप्त हुआ ।
कई वर्षो तक आप आनरेरी मजिस्टेट भी रहे ।
औदीच्य समाज की सेवार्थ महान प्रयास
संवत 1984 से स्वयं ''औदीच्य बन्धु'' को प्रकाशन मथुरा से आरंभ किया और ---
तब से आज तक अनेक प्रकार के उलट फेर देखने के बाद "औदीच्य बन्धु" औदीच्य जाति और समाज की सेवा करता आ रहा है।
पूरा लेख देखें --------- 'औदीच्य भास्कर''श्री शिवप्रकाश जी व्दिवेदी-"औदीच...:
तब से आज तक अनेक प्रकार के उलट फेर देखने के बाद "औदीच्य बन्धु" औदीच्य जाति और समाज की सेवा करता आ रहा है।
पूरा लेख देखें --------- 'औदीच्य भास्कर''श्री शिवप्रकाश जी व्दिवेदी-"औदीच...: