दूल्‍हा दूल्‍हन पार्लर मे- आशीर्वाद दाता इंतजार में ।

सौदर्य खुद ब खुद निखरता है , सुन्‍दरता बन तन पर बिखरता है ।
ईश्‍वर का यह अनमोल गिफट, परवरिश करो खुद ही संवरता है।।
                 सुंदरता ईश्‍वर की और से भेंट की गई अनमोल सौगात है जो शिशु के रूप में मां की गोद को खुशियों से भर देती है । दुनिया में अपने शिशु से बढकर मां के लिए और कोई नहीं होता है। यही बालक जब बडा होकर यौवन की दहलीज पर अपने कदम रखता है तब प्रक्रति का सारा सौंदर्य उसमें समा जाता है। सौंदर्य का यही राज बेटियों के यौवन पर भी बरसने लगता है और बसंत की मादकता के रूप में छलकने लगता है।
                 स्‍वविकसित सुंदरता का कोई सानी नहीं। सलोनी, सांवरी सुन्‍दरता  बरबस सबको अपनी और आकर्षित करने लगती है। परिवार के लोग भी सुन्‍दरता के लिए उससे बढकर सुन्‍दरता को ढुढने चल पडते हैं ताकि निगोडी जोडी देखने वालों का मन पहली नजर में ही मोह ले। यह सब सहज और सरल स्‍वरूप के सौंदर्य का ही कमाल होता है जो उनके मन में बसी सुन्‍दरता एक दूसरे को आकर्षित कर लेती है । आत्‍मविश्‍वास की यही आन्‍तरिक सुन्‍दरता ईश्‍वर की देन होती है । बस यही प्रक्रतिदत्‍त सुन्‍दरता वैवाहिक बन्‍धन में बंधते समय ब्‍यूटीपार्लरीय सुन्‍दरता के स्‍वांग में बदलने लगती है और यही से सुन्‍दरता विक्रत होने लगती है ।
                    सासुजी व्‍दारा दरवाजे से दूल्‍हे को बडे प्रेम से लग्‍न मण्‍डप में लाया जाकर दुल्‍हन का भविष्‍य दूल्‍हे के हाथ में अक्षतों एवं मंगलाष्‍टकों की सुन्‍दर अभिव्‍यक्ति के साथ सौंप दिया जाता है । इसके बाद आशीर्वाद समारोह का समय प्रारम्‍भ हो जाता है। दूल्‍हा दूल्‍हन के परिवार वालों के लिए यही सबसे अनमोल समय होता है जब आगन्‍तुक अति‍थि दोनों की जोडी को देख कर उनकी सुन्‍दरता का प्रस्‍तुतीकरण  करें किन्‍तु
यहीं से निराशा के बादल छाने लगते हैं।  दूल्‍हा दूल्‍हन लग्‍न होने के  तत्‍काल बाद ब्‍यूटी पार्लरों की और रूख कर जाते है और समय अपनी रप्‍तार से निकलने लगता है । आशीर्वाद दाता दूल्‍हा दूल्‍हन का रास्‍ता देखते देखते परेशान हो उठता है तब वह अपना आशीर्वाद  टेबल पर रख कर जाने लगता है । उनकी देरी के कारण मंच की सजावट फीकी ,कुर्सीयां हताश ,आशीर्वाद दाता निराश और फोटोग्राफर बोर होने लगते  है । सारा गणित ही गडबडा जाता है। माता पिता को अपने बेटे बहू की जोडी को दिखाने की आस अधूरी रह जाती है । यहां सबके मन में बार बार एक ही प्रश्‍न उत्‍पन्‍न होने लगता है कि जब दूल्‍हा दूल्‍हन को शादी से पहले सबने बिना ब्‍यूटी पार्लर की सुन्‍दरता के सहज और आकर्षक रूप में देख कर पसन्‍द किया तो अब उन्‍हे ब्‍यूटी पार्लर जाकर सजने की आवश्‍यकता क्‍यों पडी ।
                        प्रक्रति दत्‍त सौंदर्य और ब्‍यूटी पार्लर की बनावटी सुन्‍दरता में भारी अन्‍तर होता है । स्‍वविकसित सुन्‍दरता का मोह पाश स्‍थायी होता है किन्‍तु बनावटी सुन्‍दरता का स्‍वरूप सुबह की सुहानी भोर में मुह धोते ही अपना रौद्ररूप दिखाने लगता है । ब्‍यूटी पार्लर की सुन्‍दरता को कई आशीर्वाद दाता तो नहीं देख पाते है किन्‍तु परिवार के साथ फोटो सेशन में इसका लाभ मिल जाता है । अधिक राशि खर्च करने साथ समय की बर्बादी और सब और निराशा के बादल छाने के बाद मिली यह अस्‍थायी  सुंदरता आपको कब तक  खुश रख सकेगी । इसलिए नव युगल जोडी को चाहिए की अपनी प्रक्रतिदत्‍त सुन्‍दरता के साथ सजधज कर मंच पर लग्‍न के तत्‍काल बाद आसीन हों ताकि सभी को सुखानन्‍द की प्राप्‍ति होकर सबकी इच्‍छापूर्ति भी हो सके ।
नव युगल को अपना सौंदर्य दिखाने की आवश्‍यकता नहीं है ,आपके आंतरिक सौंदर्य को दुनिया वाले देखकर वाह वाह करें वहीं आपकी सुन्‍दरता है ।
                                                            उद्धव जोशी  


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