बेचारे मामाजी -राजेश भंडारी “बाबु”।

बेचारे मामाजी

    मामाजी एक ऐसा प्राणी होता है, जो माँ का भाई होता है, और भारतीय संस्कृति में भाई राखी पर अपनी बहन की हर तरह से रक्षा का वचन देता है। इस नाते मामाजी की बहन के बाद भांजे की रक्षा की भी जिम्मेदारी मामाजी पर ही आ जाती है| 
     हिंदी शब्दों के हिसाब से भी मा+मा मतलब। अब इस जिम्मेदारी को निभाने में मामाजी भांजे जी को सही गलत का जो पाठ पढाते हें, वो कभी सही होता है, और कभी गलत भी हो जाता है। सही होने पर मामाजी की को कभी धन्यवाद भी नहीं दिया जाता, क्यों दे ये तो उनकी जिम्मेदारी है, ये तो उनको करना ही था, मगर खुदा ना खास्ता मामाजी से कुछ गलत निर्णय हो गया, तो फिर उनकी खेर नहीं|
    ये महाभारत के मामाजी ने तो सारी दुनिया के मामाजी लोग पर से विश्वास ही उठा दिया। अब तो बहिनें अपने बच्चो को भी मामाजी लोग से दूर रखने लगी है, कहीं उनको भी शकुनी की हवा ना लग जावे, जबकि बिचारा शकुनी अपना राज पाट छोड़ कर अंधे बहनोई की मदद के लिए हस्तिना पुर में पड़ा रहा, जिसका एहसान मानना तो दूर की बात, उसको ही महाभारत के लिए जिम्मेदार बना दिया। अब कोन मामा अपने भांजे का भला नहीं सोचेगा।  शकुनी भाई ने भी यही किया | अब भांजे को भी तो अपनी अक्ल का उपयोग करना चाहिए की महाभारत करना है, की नहीं | ये कोई नहीं कहता की भांजे ने जुवा खेलकर दुश्मनी मोल ली , बस सब पड़ गए मामाजी के पीछे। 
     अब तो महिलायें अपने मायके डिलेवरी के लिए भी नहीं जाती, उनको लगता है, कही भई को उनकी संतान दुश्मन ना लगने लगे| कंस के ज़माने में क्या हुवा होगा, किसको पता है, पर उस कथा ने वर्तमान मामाजी लोगो की तकलीफ जरुर बड़ा दी है | और तो और अब डिलेवरी के लिये अस्पताल जाते समय भी मामाजी को कहा जाता है, डिलवरी के बाद तुमको फोन से खबर करते है, मतलब की अस्पताल से भी मामाजी को दूर रखा जाता है, | 
     पहले यदि सास बहु लड़ती थी, तो सास हमेशा यही कहती थी, की ये सब क्या तु तेरी माँ के यहाँ से लायी है, क्या ? परन्तु अब तो वहाँ भी मामाजी को ही जिम्मेदार बनाया जाता है, अब सासे भी बोलने लगी हें, क्या ये सब तु क्या तेरे मामाजी के यहाँ से लायी है, क्या ?  अब बिचारे मामाजी किस किस की सुने और किस किस को जवाब दे | 
      कुछ लोग तो जगत मामा कहलाते है, जिनको पुरे गाँव शहर के लोग मामाजी कहते है।  ये मामाजी सभी महिलावो को बहन मानते है, और सभी महिलावो के बच्चो को भांजे | जब सारे के सारे गाव/शहर के लोग भांजे हो, तो मामाजी की हालत तो आप समज ही सकते है। अब अइसे में कुछ भांजे भांजी आधुनिक माहोल की हवा में भी उड़ते है, असे में कुछ उच्च नीच हो जावे तो बिचारे मामाजी कर ही क्या सकते हें, पर लोग तो बोलेंगे ना फलाने के भांजे भांजी हें। 

तो भईया सब कुछ बनो पर जगत मामा कभी मत बनो नी तो रात दिन नींद हराम होगी ही । 

राजेश भंडारी “बाबु”
१०४ महावीर नगर   इंदौर  मोबाइल ९००९५०२७३४

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