हिन्दुओं
में विवाह रात्रि में क्यों होने लगे हैं ?
क्या कभी आपने सोंचा है कि हिन्दुओं में रात्रि को विवाह क्यों होने लगे हैं, जबकि हिन्दुओं में रात में शुभकार्य करना अच्छा नहीं माना जाता है? रात को देर तक जागना और सुबह को देर तक सोने को, राक्षसी प्रव्रत्ति बताया जाता है. रात में जागने वाले को निशाचर कहते हैं| केवल तंत्र सिद्धि करने वालों को ही रात्री में हवन यज्ञ की अनुमति है| वैसे भी प्राचीन समय से ही सनातन धर्मी हिन्दू दिन के प्रकाश में ही शुभ कार्य करने के समर्थक रहे है| तब हिन्दुओं में रात की विवाह की परम्परा कैसे पडी ?
लेख आमंत्रित - लेख आमंत्रित- विषय-
क्या कभी आपने सोंचा है कि हिन्दुओं में रात्रि को विवाह क्यों होने लगे हैं, जबकि हिन्दुओं में रात में शुभकार्य करना अच्छा नहीं माना जाता है? रात को देर तक जागना और सुबह को देर तक सोने को, राक्षसी प्रव्रत्ति बताया जाता है. रात में जागने वाले को निशाचर कहते हैं| केवल तंत्र सिद्धि करने वालों को ही रात्री में हवन यज्ञ की अनुमति है| वैसे भी प्राचीन समय से ही सनातन धर्मी हिन्दू दिन के प्रकाश में ही शुभ कार्य करने के समर्थक रहे है| तब हिन्दुओं में रात की विवाह की परम्परा कैसे पडी ?
लेख आमंत्रित - लेख आमंत्रित- विषय-
1-
हिन्दुओं में विवाह संस्कार दिन में क्यों न करें?
रात्रि कालीन विवाह विषयक
निम्न (*हिन्दुओं में विवाह रात्रि में क्यों होने लगे हैं ?*)
लेख नीचे देखें (जानकारी) फेस बुक/मिडिया आदि पर देखी जा रही
है|
यदि
हिन्दू समाज में यह परिवर्तन लाया जा सके तो अनावश्यक व्यय जो रात्रि विवाह
में होता है बचा जा सकेगा| प्रदर्शन/ आडम्बर कम होंगे / आदि अनेक लाभ होंगे|
आप देश क्या कहते हें वे इस बारे में मोलिक लेख
के रूप में भेजने का कष्ट करें, लेख औदिच्य बंधू (वेव)
में प्रकाशित होगा, पत्रिकाओं में भी प्रेषित किया जायेगा|
2-
वर्ष भर विवाह क्यों नहीं हो सकता? -
देश में भोगोलिक परिस्थिति/ कृषि कार्य / आवागमन विकल्प /क्षेत्रीय
समस्याएं आदि कई कारणों के चलते विवाह विशेष मुहूर्त में देव प्रबोधनी एकादशी से
देव शयनी एकादशी के मध्य ही संपन्न होते रहे है|
वर्तमान समय में अब एसी कोई समस्या नहीं है|
चार माह तक विवाह करने के स्थान रिक्त रहते हें, विशेष मुहूर्त के चलते उन विशेष दिनों में धर्मशाला, होटल, और विवाह मंडप आदि का व्यय सबके सामर्थ्य से
अधिक हो रहा है| कई हिन्दू जातियों और पंजाब आदि
प्रदशों वर्ष भर किये जाते हें और मुहूर्त न होने से भी कोई हानि नहीं होती|
लाभ यह होता है की आर्थिक संसाधन और बेंड बाजा /घोड़ी / स्थान/ आदि आदि आसानी से कम व्यय पर जुटाए जा सकते हें|
·
तो फिर अब क्यों नहीं
परिवर्तन किया जा सकता?
·
किस काल से और क्यों यह
परम्परा जारी है?
·
इस विषयक प्रमाण क्या
है?
·
आदि आदि अनेक बातों पर
विचार कर लेख आमंत्रित है-
e Mail <audichyamp@gmail.com>
पता - मधु सूदन व्यास
एम् आई जी 4/1 प्रगति नगर उज्जैन mp
०७३४-२५१९७०७
*हिन्दुओं में विवाह रात्रि में क्यों होने लगे हैं ?* लेखक अज्ञात कभी हम अपने पूर्वजों के सामने यह सवाल क्यों नहीं उठाते हैं या स्वयं इस प्रश्न का हल क्यों नहीं खोजते हैं? दरअसल भारत में सभी उत्सव एवं संस्कार दिन में ही किये जाते थे, माँ सीता और द्रौपदी का स्वयंवर भी दिन में ही हुआ था, प्राचीन काल से लेकर मुगलों के आने तक भारत में विवाह दिन में ही हुआ करते थे| मुस्लिम पिशाच* आक्रमणकारियों के भारत पर हमले करने के बाद ही, हिन्दुओं को अपनी कई प्राचीन परम्पराएं तोड़ने को विवश होना पडा था| मुस्लिम पिशाच आक्रमणकारियों द्वारा भारत पर अतिक्रमण करने के बाद भारतीयों पर बहुत अत्याचार किये गये| यह आक्रमणकारी पिशाच हिन्दुओं के विवाह के समय वहां पहुच कर लूटपाट मचाते थे| कामुक अकबर के शासन काल में, जब अत्याचार चरम सीमा पर थे,तो मुग़ल सैनिक हिन्दू लड़कियों को बलपूर्वक उठा लेते थे और उन्हें अपने आकाओं को सौंप देते थे.| भारतीय ज्ञात इतिहास में सबसे पहली बार रात्रि में विवाह सुन्दरी और मुंदरी नाम की दो ब्राह्मण बहनों का हुआ था,जिनका विवाह दुल्ला भट्टी ने अपने संरक्षण में ब्राह्मण युवकों से कराया था. उस समय दुल्ला भट्टी ने अत्याचार के खिलाफ हथियार उठाये थे.| दुल्ला भट्टी ने ऐसी अनेकों लड़कियों को मुगलों से छुडाकर, उनका हिन्दू लड़कों से विवाह कराया था |उसके बाद मुस्लिम आक्रमणकारियों के आतंक से बचने के लिए हिन्दू रात के अँधेरे में विवाह करने लगे.\ लेकिन रात्रि में विवाह करते समय भी यह ध्यान रखा जाता है कि नाच -गाना, दावत,जयमाल, आदि भले ही रात्रि में हो जाए लेकिन वैदिक मन्त्रों के साथ फेरे प्रातः पौ फटने के बाद ही हों.पंजाब से प्रारम्भ हुई परंपरा को पंजाब में ही समाप्त किया गया|
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