स्वर्गीय श्री पं.ओम व्यास 'ओम्'

 औदिच्य ब्राम्हण समाज के एक उज्जैन निवासी, "औदिच्य रत्न"जिन पर हम सबको नाज हे | 

 औदिच्य ब्राम्हण समाज के एक उज्जैन निवासी, "औदिच्य रत्न"जिन पर हम सबको नाज हे | 
 स्वर्गीय  श्री पं.ओम व्यास 'ओम्' (जन्म 25 जून सन 1961 ) के  नाम से जग विख्यात,हुए पर काल के चक्र में फस कर अल्पायु में ही देव लोक गमन कर गए|  एम .कॉम., एल.एल.बी.शिक्षा प्राप्त कर भारत संचार निगम लिमिटेड, उज्जैन (म्.प्र्)में सेवा रत रहकर,अपने हास्य व्यंग के  साहित्य स्रजन द्वारा  सर्व व्यापी हो गए|
 उनकी स्रजन यात्रा, 1980 से लेखन कार्य आरम्भ  कर,अनेक पत्र्-पत्रिकाओ मे कविताए लघुकथाएँ प्रस्तुत कर चली और 1990 से म्रत्यु पर्यंत तक  वाचिक परम्परा के अंतर्गत् म.प्र्., राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश, हरियाणा, उत्तरांचल, छत्तीसगढ, आंध्रप्रदेश, तमिनाडु, गोवा, दिल्ली, कर्नाटक के सैकडो मंचों पर काव्य पाठ करते हुए चलती रही|
         प्रकशित पुस्तके " घबराए हुए समय में" "वाह से आह" "माँ" "सुनो नहीं तो पढो" "कुछ खास" का स्रजन किया |
दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किला में कवि सम्मेलन 26 जनवरी२००१, काव्य पाठ,हास्य व्यंग के मह्त्वपूर्ण आयोजन, टेपा सम्मेलन, कबाडा,ठहाका सम्मेलन, ठिलवा सम्मेलन में कविता पाठ, अ.भा. कबाडा का संयोजन एवं संचालन, देश की महत्त्वपूर्ण श्रीराम कवि सम्मेलन, दूरर्दशन् एवं आकाशवाणी पर रचना पाठ, अनेकों चैनल्स जैसे आज तक, ई.टी.सी. , आस्था, संस्कार, ई.टी.वी, सहारा आदि पर अनेकों बार काव्य प्रसारण, में अपनी शेली का परिचय दिया| अपनी इस यात्रा में अपने कई विदेश यात्राएँ 2003, न्यूर्याक (अमेरिका),2003, दुबई, शारजाह (संयुक्त अरब अमीरात),2004, दुबई, शारजाह (संयुक्त अरब अमीरात),2005, नेपाल,2005, न्यूजर्सी, अटलांटा, वाशिंगटन (अमेरिका)2006, न्यूजर्सी, अटलांटा, वाशिंगटन एवं अन्य राज्य(अमेरिका)  तक कर सभी जगह के श्रोताओ को मन्त्र मुग्ध कर दिया |
काव्यांश कुछ इस प्रकार हें|
काव्यांश
माँ
पिता
माँ चिन्ता है, याद है, हिचकी है,
माँ, बच्चे की चोट पर सिसकी है,
माँ चूल्हा, धुँआ,रोटी और हाथों का छाला है,
माँ जिन्दगी की कडवाहट में अमृत का प्याला है,
माँ त्याग है तपस्या सेवा है,
माँ फूँक से ठंडा किया हुआ 
कलेवा है...
पिता रोटी है कपडा है, मकान है
पिता छोटे से परिन्दे का बडा आसमान है
पिता से ही बच्चों के ढेर सारे सपने है,
पिता है तो बाजार के सब खिलौ
ने अपने है!
पति-पत्नी
कभी नही
पत्नी जब देना बेंक होती है!
तो-पति बेचारा को-आपरेटिव बेंक हो जाता है!
पत्नी, पति की जिन्दगी में भारतीय जीवन बीमा निगम बनकर आती है!
और पति की जिन्दगी
ओरिएण्टल फायर एंड जनरल इन्श्योरेन्स कम्पनी होकर रह जाती
है ..
साले की बुराई,
शक्की को दवाई,
उधार प्रेमी को अपने दोस्त से मिलाना..
पत्त्नी को अपनी असली इन्कम बताना
कुत्ते के नवजात पिल्ले को सहलाना
और पहलवान की बहन से इश्क लडाना
कभी नही...कभी नही.
मजा ही कुछ और है
राजनीति पाक
दाँतों से नाखून काटने का
छोटों से जबरदस्ती डांटने का
पैसे वालों को गाली बकने का
मूंगफली के ठेले से मूंगफली चखने का
कुर्सी पर बैठकर कान में पेन डालने का
और रोडवेज की बस की सीट से स्पंज़ निकालने का ... मजा ही कुछ और ह
ै....
सामग्री-
धुली हुई बेईमानी ४२० ग्राम्
खडी गुन्डा गर्दी ८४० ग्रम्
कुटा हुआ अवसरवाद ४२० ग्राम्
दुष्चारित्रता ८४० ग्राम्
भष्ट्राचार -आवश्यकतानुसार्
चंदा-स्वादानुसार
और थोडी सी सेवा सजावट के 
लिए



पं॰ओम व्यास ओम जी को की भावभीनी श्रद्धांजलि

(ब्लॉग बुलेटिन  से साभार )

हास्य, व्यंग्य और कविता प्रेमियों को ८ जुलाई'०९ को एक भीषण सदमा लगा था |
८ जून'०९ से जिंदगी से संघर्ष कर रहे मशहूर हास्य कवि ओम व्यास 'ओम' जी का ०८ जुलाई'०९ की सुबह दिल्ली में निधन हो गया।
ज्ञात हो ओम व्यास जी  ०८ जून'०९ को एक सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल हो गए थे। उनका दिल्ली के अपोलो अस्पताल में इलाज चल रहा था।
उल्लेखनीय है कि विदिशा में आयोजित बेतवा महोत्सव से भोपाल लौट रहे कवियों का वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो गया था।
इस हादसे में हास्य कवि ओम प्रकाश आदित्य, लाड सिंह और नीरज पुरी की मौके पर ही मौत हो गई थी जबकि ओम व्यास गंभीर रूप से घायल हो गए थे। सभी उनके जल्द ठीक होने की आस लगाये बैठे थे पर ..................होनी को कुछ और ही मंजूर था |
आज ठीक चार साल बीत जाने के बाद भी हिंदी साहित्य प्रेमी इस सदमे से उबार नहीं पाए है | 
 कुछ चुनिन्दा पोस्ट , जो समर्पित है स्व॰पं॰ओम व्यास ओम जी को !
 चौथी बरसी पर स्व॰पं॰ओम व्यास ओम जी को पूरे हिन्दी ब्लॉग जगत और ब्लॉग बुलेटिन की भावभीनी श्रद्धांजलि !!
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