जीवन साथी का चयन - जीवन की एक बड़ी उपलब्धि।

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जीवन साथी
  परम पिता परमात्मा ने सृष्टि को प्रकृति, प्रेम, और परिचय से संवार कर मानव जीवन को उर्जा प्रदान की है। प्रकृति ने मानव को सारी सुख सुविधाओं से नवाजा, प्रेम ने मानवीय भावना और अनुभूति को बढाया तो परिचय ने सृष्टि के कण कण को अपनत्व प्रदान किया। सांसारिक कार्यो के लिए साधनों की पूर्ति का मुख्य आधार परिचय है ! हर व्यक्ति अपने  जीविकोपार्जन के सारे सर्व सुलभ साधन एक दूसरे के सहयोग से उपलब्ध करता है किन्तु  अपने बेटे बेटियों के लिए योग्य जीवन साथी का चयन सामाजिक परिचय के बिना संभव नहीं होता है !
वह समय बहुत पीछे छुट गया जब वैवाहिक संबंध सरलता, सादगी से तय हो जाते थे।  सीमित क्षेत्र, कम आयु, पढाई की कोई झंझट नहीं, रिश्तेदारों का सहयोग, बडों की आज्ञा का पालन, मर्यादा और संस्कारों की सीमा के कारण घरों में शहनाईयों की गूंज धडकने लगती थी! संबंधों का हर काम बिना कठिनाई के गरिमा के साथ पूर्ण होता था।
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समय ने करवट बदली, भौतिकता ने पैर पसारे। उच्च शिक्षा, उंचा जाब, बडा पेकेज, उम्र की अधिकता, रिश्तो से अनजान, घर और समाज से दूरी, विस्तारित क्षेत्र, जैसे अनेक कारणों से वैवाहिक संबंध अभिभावकों के लिए चिन्ता का विषय और युवा युवतियों के लिए दोयम स्तर के होते जा रहे हैं। समाज से भी इतर वैवाहिक संबंध होने में अब कोई गुरेज नही होता है। यह तो अपनी अपनी सोंच समझ पर निर्भर है, किन्तु हमारे समाज में आज भी सर्वाधिक परिवार ऐसे हैं, जो अपने बच्चों के लिए जीवन साथी का चयन समाज और रिश्तेदारी व्दारा ही करना चाहते हैं ।
समाज में वैवाहिक रिश्तों का प्रचलन आदिकाल से चला आ रहा है! इसके पीछे विश्वसनियता ,पारदर्शिता, अपनत्व, सदाशयता और सघन परिचय होने का लाभ मिलता था। पहले व्यक्तिगत रूप से मध्यस्थ की भुमिका अपने निकट के सदस्य ही निभाते थे, जिन पर पूर्ण रूपेण विश्वास किया जाता था, और वे  विश्वास की कडी पर खरे उतरते थे। अब समय की नजाकत को देखते हुए मध्यस्थ की भूमिका निभाने से हर कोई कतराने लगा है। स्वयं माता पिता भी चयन का महत्वपूर्ण बिन्दु अपने बच्चों की पसन्द पर ही छोड रहे हैं।
           जीवन साथी का चयन अनुभव, परीक्षण और विस्तृत सामाजिक परिचय के बिना संभव नहीं है। जीवन साथी कैसा हो, यह भावुकता का विषय न होकर इसके लिए बच्चों की समझदारी और खुले विचारों की क्षमता के साथ बडों के अनुभव और समाज के दिशा दर्शन का संयोजन अति आवश्यक है। वर्तमान में रिश्तेदारी का संकुचन और परिचय की कडी कमजोर होती जा रही है! इसके कारण योग्य बच्चे, बच्ची की उपलब्धता के बाद भी उनकी जानकारी के अभाव में सम्पर्क का अभाव आडे आ जाता है। इस कमजोर कडी को मजबूत करने तथा
मध्यस्थता की विश्वसनियता को साकार स्वरूप देने के लिए समाज सेवी, समय दानी, सक्रिय समर्पित कार्यकर्ताओं ने वृहद चिन्तन मनन कर समाज से, समाज के लिए, समाज के व्दारा अविवाहित युवा युवतियों के लिए योग्य, मनपसन्द जीवन साथी का चयन करने हेतु परिचय सम्मेलन करने की योजना बनाई जहाँ समाज की एक छत के नीचे, समाज के ही युवक-यवती अपने अभिभावकों के साथ एकत्रित होकर पारिवारिक वातावरण में आपस में  स्वतन्त्रता पूर्वक विचार विमर्श कर, अपने अभिभावकों को अपनी पसन्द से परिचित करा सके। ऐसे चयनित प्रत्याशी के साथ अपनी बातों को एक दूसरे को बताने का अमूल्य अवसर भी मिलता है।
इन्ही महत्वपूर्ण बिन्दुओं को साकार रूप देकर भगवान महाकाल की नगरी में परिचय सम्मेलन की यह श्रृखंला वर्ष 1995 से प्रारम्भ की गई थी,  जो सतत् रूप से चल रही है, तथा इसके माध्यम से ज्ञात, अज्ञात रूप से अनकों युवाओं  ने सेहरा और बेटियों ने सुहाग की धानी चुनरिया ओढ कर अपने जीवन में खुशियों के रंग बिखेरे हैं। परिचय सम्मेलन समिति निस्वार्थ रूप से अपना कत्र्तव्य निभा रही है। जो आवे सो पावे की तर्ज पर आने वाला तो लाभान्वित हो ही रहा है, न आने वाला भी अपनी प्रविष्ठी देकर लाभ उठा रहा है। इस प्रकार परिचय सम्मेलन की महत्ता  द्रश्य और अद्रश्य  दोनों रूपों में समाज को लाभान्वित कर रही है ।
    परिचय सम्मेलन का आयोजन की युवा युवतियों के जीवन को श्रृंगारित करने के लिए है। समाज का सहयोग लें और समाज को सहयोग दें। अपने दाम्पत्य जीवन को सुख,सौंदर्य से आलोकित करने के लिए जीवन साथी के योग्य चयन के पहले पडाव पर प्रत्याशी की उपस्थित अनिवार्य है क्योंकि उसे स्वयं इस जिम्मेदारी को वहन करना है ।
अब अगला परिचय सम्मेलन 21 दिसम्बर 2014 को प्रेमछाया परिसर उज्जैन में आयोजित किया जा रहा है, इसकी सम्पूर्ण जानकारी समाज की पत्र पत्रिकाओं के माध्यम से पहुंचाई जा रही है। 
    सभी अभिभावक गणों, युवा, युवतियों से अनुरोध है, कि अपने जीवन साथी के श्रेष्ठ चयन के लिए गहराई से विचार कर परिचय सम्मेलन में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करने हेतु  प्रविष्ठी भेजें। सकारात्मक सोंच सफलता प्रदान करेगी और नकारात्मक सोच जीवन को अंधेरी गलियों में भटकावेगी ।           
                                 उद्धव जोशी , उज्जैन
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