Rajesh Bhandari
घनी याद आवे बचपन ने बचपन को जमानो
घनी याद आवे बचपन की ,ने बचपन को जमानो,
वी तेवार मनानो ने खुसी को गीत गानों।
उ हिड तो बनानो ने तलाव पे घुमानो,
वी गारा का कोटडा ने भितडा लिपवनो।
वा गोरधन की पूजा ने मांडना बनानो,
गोरधन में गाड़ी के बम को छुडानो।
ढोर होण का सिंग रंगनो ने छापा लगानो,
बेल होण रंग बिरंगा फुनदा ने सेला पेरानो।
सबेरे सबेरे ढोर का पाव में लड़ को छुडानो,
खोटा फटाका की बारूद से सुर्री छुडानो,
साळ की धानि ने रंगीन बर्फी को खानों।
खेत मॉल ने कोठा में दिवा को लगानो,
वा धोक पड़वा पे पग्गे लाग्नो ने लगानो।
घनी याद आवे बचपन की ,ने बचपन को जमानो॥
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