विश्व के सात आश्चर्यों मेँ एक - सी॰ एन॰ टावर टोरेंटों कनाडा। इस वीडियो के साथ आप भी इसका आनंद ले सकते हें। |
कनाडा यात्रा डॉ, ओ.पी. व्यास ब्राम्पटन ओंटारियो कनाडा ... . ...
२२/५/२०११//.
ब्राम्पटन ओंटारियो कनाडा -
CN Tower Toronto.सी एन टॉवर .टोरोंटो.
E mail .dropvyaspoet@gmail.com
यह टॉवर वर्ल्ड का शायद सबसे ऊंचा टॉवर है। हम दिन के ११ बजे ब्राम्पटन कनाडा अपने घर से कार से निकले। घर से कार से ब्रेमेल्लिया ब्राम्पटन बस स्टैंड गये, वहां से गो बस ३२ से टोरोंटो रवाना हुए। लगभग १ घंटे में टोरोंटो पहुंच गये, रास्ते में ओंटारियो झील के द्रश्य अत्यंत मनोरम थे, अनेक नावें दिखाई दीं, सुंदर हरे भरे किनारे थे। कोई रेस लगा रहा था , कोई सायकल चला रहा था, कोई हरी दूब में बैठा था । आसपास सुंदर कई मंजिला इमारतें थीं। बढिया कई लेनों वाली सडकें थीं, वाहन निर्धारित गति से चल रहे थे। चोराहों पर ट्रेफिक सिगनल लाल हरे पीले होने पर सब नियम से जा रहे थे। सभी अपनी राइट साइड से जा रहे थे। सभी वाहन पर्याप्त दूरी लगभग ५-१० फीट दूरी से चल रहे थे। कहीं भी कोई पुलिस वाले नहीं दिखे। पैदल चलने वाले अपने निर्धारित स्थान पर चल रहे थे। जब भी पेडिस्टरिनियन सिग्नल आता था, तभी सड़क पार करते थे। पूरे कनाडा में पैदल चलने वालों का बहुत ध्यान रखा जाता है। पैदल चलने वाले भी कायदे से ही चलते हैं। हम टोरोंटो के यूनियन [ Union ] स्टैंड पर उतर गये। सीनियर टिकीट के लगभग तीन डॉलर लगे। टिकिट हमने मशीन से ही लिया था। वैसे ड्राईवर भी टिकिट दे देते हैं, या कहीं कहीं बुकिंग विंडो भी हैं। यूनियन स्टैंड गगन चुम्बी बहु मंजिला इमारतों के मध्य है। पास में रेलवे, मेट्रो आदि के भी स्टेशन हैं। लम्बे गलियारों चलती सीडीओं , लिफ्टों से चलते हुए सी एन टॉवर के निकट पहुंच गये। मार्ग में बहुत बड़ा कोंफ्रेंस सेंटर पड़ा, जिसमें अनेक होंल हैं, बाथ रूम आदि की निशुल्क शानदार व्यवस्था इसमें है। इसमें एक शानदार रेस्टोरेंट भी है। बैठने के लिए अनेक गद्दे दार सोफे हैं। जिन पर कोई भी बैठ सकता है। इस का उदघाटन क्वीन एलिजाबेथ ने किया था ।
नीचे धरती ऐंसे दिख रही थी मानो हम आसमान में स्वर्ग लोक से धरती को देख रहे हों, हजारों आदमिओं की भीड़ थी। दुनिया के हर देश के रंग बिरंगे विभिन्न वेश भूषा में लोग थे , बच्चे बूढ़े जवान सभी तरह के लोग थे। फिर हम लिफ्ट से ओर ऊपर स्काय पोड पर गये। यहाँ कांच के केबिन से नीचे के द्रश्य और भी अद्भुत थे।
ऊपर कई होटल भी हमें मिलीं, जहाँ लोग कहा पी रहे थे । वहां अनेक बाथ रूम भी थे, कहीं गंदगी नहीं थी। बाथरूमों में पान की पीकें , बदबू , ईंटों के टुकड़े नहीं थे। बहुत साफ सुथरे थे, अनेक भारतीय भी दिखे, बहुत मजा आया। खूब फोटो खींचे, मूविआं बनाईं। लगभग ४-५ घंटे बाद लिफ्ट से नीचे आगये। जगह जगह जानकारियां लिखीं हुईं थीं । सी॰ एन॰ टावर टोरेंटों कनाडा। इस वीडियो के साथ आप भी इसका आनंद ले सकते हें। क्लिक लिंक ।
लिफ्ट की गोर वर्ण अधेड़ महिला कर्मचारी के हंसमुख व्यवहार .बातचीत में पता ही नहीं चला की कब हम नीचे आगये उनकी जितनी प्रशन्सा की जाये कम है। नीचे का द्रश्य भी बहुत अच्छा था।
एक तरफ रोजर्स की विशाल इमारत थी। सामने की ओर रेलवे का बहुत बड़ा एरिया था, उसमें बहुत छोटी खिलौना ट्रेन बच्चों , बूढों सबको ले कर निशुल्क दोड़ रही थी। बहुत बड़ी रेलवे की प्रदर्शनी भी लगी हुई थी । एक दूसरी ओर बांयीं ओर हरी दूब के बीच ड्रामे नाच गाने का क्र्म चल रहा था ।
पुराने जमाने के कनाडा वासिओं के रहन सहन के बारे में अंग्रेजी, फ्रेंच भाषा में तरह तरह के स्वांग कर रहे थे। कुछ लोग पास के क्यूबेक प्रान्त से आये हुए थे। एक व्यक्ति बहुत लम्बा बन कर एक लम्बी महिला के साथ स्वांग कर रहा था। जो भी पूरे ग्राउंड में बैठे थे उन्हें बैठने को खूब सूरत छोटी छोटी चटाईयां, आसन टाईप की मुफ्त दी जा रहीं थीं । अनेक चाबी के छल्ले आदि बांटे जा रहे थे। तमाम सुंदर सुंदर पत्रिकाएँ, फ्लावर आदि दिए जा रहे थे, चारोँ तरफ बहुत से स्टाल लगे थे। जिनमें तरह तरह से मनोरंजन निशुल्क किया जा रहा था । जगह पुराने जमाने में लोहे का सामान कैसे बनता था, उसकी जानकारी दी जा रही थी। दूसरी तरफ बच्चों को जानकारियां और गिफ्टें दीं जा रहीं थीं। असल में आज वाइल्ड लाइफ के लिए १०० वर्ष में जो काम कनाडा ने किया है, आज २१ /५/२०११ को उसके १०० वर्ष हो गये हैं। इसीके उपलक्ष्य में यह सब आयोजन था। एक जगह तरह तरह के सर्प लोग गले में डाल कर फोटो खिंचवा रहे थे। अर्णव [मेरा नाती] ने भी बहुत से सर्प गले आदि में डाले । बीच में सी एन टॉवर शान से खड़ा हुआ था। ऊपर आसमान में २ हेलिकोप्टर चक्कर लगा रहे थे। एक हवाई जहाज भी सी एन टॉवर के आस पास घूम रहा था। सी एन टॉवर में आती जाती हुई लिफ्ट बहुत अच्छी लग रही थी। रंग बिरंगे पूरी दुनिया के लोगों को देख कर खूब मजा आया। हमने खूब फोटो खींचे, मूवियाँ बनाईं , आज मोसम भी साफ था। ठण्ड भी नहीं थी , हम लकी थे की आज के दिन आये।
रात के ९ बजे के आस पास हम वापिस लिफ्ट से ऊपर आये, पुल से निकलते हुए नीचे रेल की पटरिओं को और गगन चुम्बी इमारतों को देखते हुए जैसे गये थे, वैंसे ही लम्बे लम्बे गलियारों से होते हुए, सडक के किनारे से गो स्टैंड आये , तथा बस नंबर ३२ से वापिस ब्रेमीलिया ब्रांपटन की ओर रवाना हुए। रात होने से बड़ी बड़ी इमारतें सड़कें रंग बिरंगी रोशनी में अद्भुत लग रहीं थीं। एक घंटे में बस स्टैंड आये, /बस स्टेंड पर जब उतरा बहुत कम लोग यहाँ थे। वहां से कार से घर वापिस श्री बकुलेश जी के साथ आ गये। अपने भाग्य परमात्मा और सों. प्रेरणा , श्री बकुलेश जी [पुत्री ओर जमाई] की कृपा से विदेश यात्रा का असम्भव काम सम्भव हो गया। मिसेज श्रीमती कृष्णा व्यास, चि. अर्णव ,कु. अनन्या को भी खूब मजा आया ।
आज के आनंद की जय ॥
बोल सिया भज राम चन्द्र भगवान की जय ॥
डॉ . ओ. पी. व्यास गुना ॥
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