पञ्च-शुण्‍डी गणपति की अदभुत प्रतिमा।

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पञ्च-शुण्‍डी गणपति 
की अदभुत प्रतिमा

    उज्‍जैन स्थित चौसठ योगिनी मार्ग नयापुरा में चौसठ योगिनी माता मन्दिर जिसमें 64 देवीयां विराजित होकर सामने सिंह की विशाल की प्रतिमा है। इसी मन्दिर के पिछले भाग में पञ्च-शुण्‍डी गणपति की अदभूत मूर्ति है।
 लाल पाषाण से निर्मित होकर वामन आकार की खडी प्रतिमा, दो मूषक पर विराजित है। इस सुदर्शन प्रतिमा का एक मुंह, पांच सुण्‍ड, एक दंत तथा दस भुजायें हैं। दसों भुजाओं में क्रमश त्रिशुल, अंकुश, गदा, एक दन्‍त, ध्‍वजा, नाग, शक्ति, माला, पुष्‍प, फर्शा[फरसा] तथा लड़डुओ का थाल है।
 यह प्रतिमा अति प्राचीन काल की होकर पहले मुख्‍य व्‍दार के पिछले भाग में स्‍थापित थी, किन्‍तु बाद में उसके डह जाने से  मन्दिर बनाकर वहां स्‍थापना की गई हे। इस अदभुत गणपति की प्रतिमा और चौंसठ योगीनी माताओं के दर्शन से सभी मनोकामनायें पूर्ण होती है।
 यह मन्दिर श्री मनीष जी व्‍यास के स्‍वामित्‍व में है। पुरातत्व विद स्व॰ डॉ वांकणकर के अनुसार भी लगभग दो हजार वर्ष से पूर्व की हे। संरक्षण ओर इनके अद्भुत दर्शन हेतु इस प्रतिमा पर सिंदूर या कोई पैंट आदि नहीं किया जाता हे।
   श्री व्यास जी ने बताया की पंद्रहवी सदी मे उनके पूर्वजो के सिद्धपुर गुजरात से  उज्जैन आने के बाद, खंडहर पड़े इस मंदिर का पुनर्निर्माण किया गया था। तभी से इस चोसठ योगनि मान्दिर सहित समस्त परिसर की सुरक्षा, व्यवस्था ओर पूजन आदि की ज़िम्मेदारी व्यास परिवार निर्वाहित कर रहा हे। 
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