पिंजौर गार्डन पंचकूला हरियाणा ।


 अपनी हिमांचल प्रदेश की ओर यात्रा में कुरुक्षेत्र से आगे चलते चलते यात्रा का अगला पड़ाव च्ंडीगढ़ था, राह में पिंजोर गार्डन देखने का अवसर भी मिला।  चंडीगढ़-शिमला हाइवे पर, पंचकुला, चंडीगढ़ पिंजौर चण्डीगढ से करीब बीस किलोमीटर आगे शिमला रोड पर पिंजौर गार्डन है, देखने पहुंचे।  दिल्ली की तरफ से जा रहे हैं तो चण्डीगढ जाने की कोई जरुरत नहीं, बल्कि चण्डीगढ से पहले जीरकपुर से ही रास्ता दाहिने मुडकर पिंजौर चला जाता है।


 पानी, फूल और रंग बिरंगे फूलों से सजा पिंजौर गार्डन लगभग सौ एकड़ में फैला है। परिवार और बच्चों के साथ पिकनिक इंज्वॉय करने के लिए गार्डन स्थानीय लोगों का फेवरेट स्पॉट है। गार्डन के भीतर ऐतिहासिक महल, मिनी चिड़ियाघर, जापानी गार्डन भी लोगों को खूब लुभाते है। शाम को झिलमिलाती लाइट्स की रोशनी में खिलखिलाते फव्वारों की खूबसूरती लोगों को मदहोश कर देती है। गार्डन के बीच एक विशाल क्षेत्र है जहां अप्रैल महीने के दौरान वासंतिक त्यौहार मनाने की व्यवस्था है। जबकि जून और जुलाई में यहाँ पर्यटक मैंगो फेस्टिवल इंज्वॉय करते है।यहां आम की अन्य किस्मों के अलावा केले, चीकू, आडू, चीकू, अमरूद, नाशपती, लोकाट, बीज-रहित जामुन, हरा-बादाम व कटहल के काफी पेड हैं। किसी भी मौसम में जाएं, कोई न कोई फल उपलब्ध रहता है। यहां मुगल गार्डन, जापानी बाग, प्लांट नर्सरी के साथ-साथ मोटेल गोल्डन ओरिएंट रेस्तरां, शापिंग आर्केड, मिनी चिडियाघर, ऊंट की सवारी, व्यू गैलरी, कांफ्रेंस रूम, बच्चों के मनोरंजन के लिए विभिन्न गतिबिधियों का भी इंतजाम है। 
    पंचकूला हरियाणा के अंतिम छोर और हिमाचल प्रदेश के स्वागत द्वार से ठीक पहले स्थित यह 350 साल पुराना यादविंद्रा गार्डन, जिसे अब पिंजौर बाग के नाम से जाना जाता है।  17 वीं सदी में औरंगजेब के सूबेदार व चचेरे भाई फिदाई खान ने लाहौर के शालीमार बाग की तर्ज पर बनवाया था। यह गार्डन इंडोमुगलिया शैली का बेहतरीन नमूना है। चंडीगढ़ से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस किलानुमा गार्डन में निर्मित शीशमहल, रंगमहल, जलमहल जैसे भवन राजस्थानी-मुगल संस्कृति के प्रतीक माने जाते हैं। एक ढलानदार पहाड़ी को काट कर बनाया गया पिंजौर गार्डन रात की रोशनी में बेहद सुंदर लगता है। यह गार्डन यहा आने वाले पर्यटकों के हर लम्हे को गुलजार और यादगार बना देता है। चंडीगढ़-शिमला राजमार्ग पर बसा पिंजौर एक छोटा सा शहर है। चंडीगढ़ से बसों व टैक्सियों द्वारा पिंजौर आया जा सकता है। इस शहर से कई किंवदंतिया जुड़ी हुई हैं। कहा जाता है कि पांडव अपने वनवास के दौरान कुछ समय यहा भी रहे थे, इसलिए इसे पंचपुरा के नाम से भी जाना जाता है। बाद में पटियाला के महाराजा यादविंद्रा के नाम पर इस गार्डन का नाम यादविंद्रा उद्यान रखा गया।
    पिंजौर गार्डन के हरे-भरे बाग, झरने और सुंदर तालाब पर्यटकों को खूब आकर्षित करते हैं। यहां के शीश महल में फिदाई खान अपना दरबार लगाते थे। शीश महल के सामने बने रंगमहल में फिदाई खान की बेगमें अपना मनोरंजन करती थीं। यह महल भी बहुत खूबसूरत है। जलमहल के बारे में कहा जाता है कि इसमें फिदाई खान की बेगमें स्नान करती थीं। इसके अलावा इस उद्यान में एक हवा महल भी है, जिसे इसके ताज के रूप में देखा जाता है। यहां पर्यटकों के लिए अन्य आकर्षण स्थल भी हैं। यहा पर्यटक स्वादिष्ट खाने का मजा भी ले सकते हैं। गार्डन में सुंदर रेस्तरा, कैफे और ढाबे हैं। यहा ठहरने के लिए छोटे-बडे़ होटलों सहित हरियाणा राज्य पर्यटन विभाग के होटल भी उपलब्ध हैं। चंडीगढ़ के होटलों में भी ठहर कर यहा के प्राकृतिक सौंदर्य का लुत्फ उठाया जा सकता है। गर्मियों की शाम और सर्दियों की धूप में हर किसी की थकान यहा खत्म हो जाती है।
     पिंजौर गार्डन में प्रति माह लगभग 50 से 60 हजार लोगों का आना होता है। लोग यहा पर घटों बैठकर समय गुजारते है और यादगार के तौर पर फोटो भी खिंचवाते है। पर्यटकों के लिए पिंजौर गार्डन को काफी आकर्षक बनाया गया है और जो थोड़ी-बहुत कमी थी , वह दूर कर दी गई है। इसमें प्रवेश का शुल्क रु-20/ हे। 
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