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मान्यवर महोदय डॉ मधुसूदन व्यासजी
बारडोली ,जिल्ला सुरत ,गुजरात से रमेशचन्द्र पूजारी
प्रणाम ,
मेरा गोत्र कृष्णात्रेय है । मै औदीच्य ब्राम्हण हु और मेरेको
श्रीस्थल प्रकाश पुस्तक चाहिए । आपश्री वी पी पी [VPP POST]पोस्ट द्वारा भेज शकते है ।
मेरा पता
रमेशचन्द्र छोगालाल पूजारी [दवे ]
105 –महावीर पेलेस ,उपली बाज़ार
मुख्य पोस्ट ऑफिस के पास
मु. पोस्ट बारडोली ,जिल्ला सुरत गुजरात
पिन कोड 394601 , मो 09427125749
कृपा करके श्रीस्थल प्रकाश पुस्तक भेजे, वीपीपी के सिवा और कोई व्यवस्था हो तो बताए
कृपा करके उत्तर दीजिये
प्रणाम
रमेशचन्द्र पूजारी
Rameshchandra Pujari <pujarirc@yahoo.com>
उत्तर- 8 जनवरी 09:45 AM
v p p से भेजने की व्यवस्था एक माह में की जा रही है। आपको इस विषय में अवगत कर दिया जा सकेगा। यदि कोई उज्जैन संपर्क हो तो शीघ्र प्राप्त कर सकेंगे।
श्री पुजारी जी
जय गोविंद माधव ।
आपने पूर्व में श्रीस्थल प्रकाश के लिए लिखा था अब यह वीपीपी से भेजी जा सकेगी । इसका लागत सहयोग शुल्क रु 150/ + 40 पोस्टल एंड पेकीग योग रु 190/- की वीपीपी प्रेषित की जा सकेगी। अपना नाम/ पता/ शहर/ ग्राम/ तहसील जिला/ राज्य ओर पिन कोड,सहित आदेश देवे। धन्यवाद ।
डॉ मधु सुदन व्यास/ 21/02/2014
Mananiya Mahoday Shri Madhusudanji,
Namaskar
JAY GOVIND MADHAVJI.
Thank you for the news on yournew publication.It is a great pleasure to hear that the hindi translation of 'SHRISTHAL PRAKASH OR UDICHYA PARAKA' is going to be published and launched on 5the January. I wish you all the best on the launching of the publication and i hope that this would help all young Audichya brahmans to learn more about their past and history along with their Gotras. You have done this great job to revive the knowledge of Audich Brahman's history and lineage in this illusioned world where people forgetting their illustrious history and the modern concept of Genealogy and the danger of marrying in Sahotra.
SHUBHECHCHHA EVAM SHUBHAKAMANA
HEMANT PADHYA
2014/1/3 <hindukrantivir@aol.com>
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भागवताचार्य सन्त श्री रमेशभाई ओझा [पर 3 टिप्पणियां:]
- Brahmtej ने कहा20-10-2012
भागवताचार्य सन्त श्री रमेशभाई ओझा
लेबल: औदीच्य समाज के गोरव
Shrimad Bhagwat Katha Part 1 of 8 - Rameshbhai Oza
रामकथा के मर्मज्ञ एवं भागवत के रहस्यलोक के उदगाता औदीच्य रत्न श्री रमेश भाई ओझा, इस देश की आध्यात्मिक संत परम्परा के सच्चे प्रतिनिधि हैं। सरस्वती का वरदान प्राप्त श्री रमेश भाई भारतीय सांस्क्रतिक परम्परा के विशुध्द शिखर है। आज पूरे देश में उनका नाम गूंज रहा है। केवल भारत में ही नहीं अपितु देश विदेश के लाखों नर नारियों के अन्तर में धर्म एवं अध्यात्म की कीर्ति का प्रसार करते हुए सम्पूर्ण औदीच्य समाज को गौरवान्वित किया है। इस कारण देश के अनेक महापुरूषों ने आपको भागवताचार्य , भागवत भूषण, भागवत रत्न जैसी विविध उपाधियों से विभूषित किया है।
श्री रमेशभाई ओझा का जन्म गुजरात के देवका ग्राम में 21 अगस्त 1957 को औदीच्य परिवार के श्री व्रजलाल कानजी भाई ओझा के यहां हुआ । राजुला की तत्व ज्योति पाठशाला में कुछ समय अध्ययन करने के पश्चात आप माता पिता के साथ मुंबई आकर स्थायी रूप से वहीं बस गये । वहां आपने अंग्रेजी माध्यम से वाणिज्य महाविध्यालय में अध्ययन करते हुए सभी परीक्षाऐं विशेष योग्यता के साथ प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। साथ ही अध्ययन काल में भागवत गीता एवं रामायण का भी गहन अध्ययन किया ।
भागवत एवं रामायण् की निन्तांत सुरीले स्वर से संगीत माधुरी के साथ कथा करते हुए लगभग 37 वर्ष से भी अधिक समय होगया है। उनकी स्मरण शक्ति एवं सुमधुरता श्रोताओं को मन्त्र मुग्ध कर देती है। सम्पूर्ण भागवत, भगवत गीता, एवं रामायण उन्हे कंठाग्र है तथा जिस शैली से श्री ओझाजी इन ग्रंथों के गूढ रहस्यों का तात्विक विवेचन एवं व्याख्यान करते है तो सभी आनंदित हो जाते हैा शब्द एवं संगीत के माध्यम से परमात्मा की और उन्मुख करा देने वाली उनकी पांडित्यपूर्ण ओजस्वी वाणी तथा अन्तरमन से छलकता भक्ति रस, जन जीवन को आल्हादित कर देता है।
केवल कथा ही नहीं अपितु कथा के माध्यम से सामाजिक,सांक्रतिक,धार्मिक एवं आध्यात्मिक चेतना का भी जन जन में विकास करना आपका मुख्य उददेश्य है। सन 1987 में लंदन में कथा से प्राप्त ढाई करोड की राशि आपने गुजरात में आधुनिक चिकित्सा पध्दति से युक्त नेत्र अस्पताल बनाने के लिए प्रदान कर दी हे । दिल्ली में हूई रामकथा से प्राप्त दो करोड की धनराशि आपने गोवर्धन तीर्थ के सम्पूर्ण विकास एवं परिक्रमा के मार्ग के प्रदूषण एवं असुविधा मिटाने के लिए प्रदान की हे।
पोरबन्दर में आपने संस्कार एवं संस्क्रति के विध्याधाम के रूप में सान्दीपनी विध्यानिकेतन की स्थापना की। जहां वैदिक परम्परानुसार संस्क्रत साहित्य की निशुल्क शिक्षा दी जाती है। प्रतिवर्ष यहां नेत्रयज्ञ का आयोजन भी किया जाकर निशुल्क आपरेशन एवं आंखों का इलाज किया जाता है। पोलियो आपरेशन केम्प लगाकर उत्तम गुणवत्ता वाले केलिपर्स प्रदान किए जाते हैं। जालंधर बंध की योग की पध्दति से दन्त यज्ञ तथा दन्त चिकित्सा संबंधी सेवा भी सम्पन्न की जाती है । सेवा कार्य के अतिरिक्त वेद विध्या में निपुण भारत के ख्याति प्राप्त विव्दानों को आमंत्रित कर वेद सम्मेलन का आयोजन भी होता रहता है।
श्री रमेश भाई ओझा व्दारा स्थापित संस्क्रति फाउंडेशन की शाखायें इंग्लैंड, मलेशिया, केन्या, स्वीडन आदि अनेक देशों में कार्य कर रही है। आपकी कथा के आडियो केसेट तथा सीडी लाखों की संख्या में है। टी;वी; के अनेक चेनलों पर आपकी कथा प्रवचन प्रसारित होते रहते हैं।
भविष्य में भी जन जन में आध्यात्मिक चेतना के विकास तथा धार्मिक ,सामाजिक,एवं सांस्क्रतिक मूल्यों के उत्थान की दिशा में आपकी कई योजनाऐं है।
औदीच्य समाज को आप पर गर्व है । - સિદ્ધપીઠ
પૂજ્ય દેવશંકર બાપાની તપોભૂમિ છે.પ્રાચી સરસ્વતીનું તીર્થ છે. ઋષિ માકાન્દેયના પ્રાચીન ઈતીહાસ મુજબ શ્રીસ્થળ સુધીનો સરસ્વતી નદી નો વિશાલ પ્રવાહ ભુતાલની સપાટી પર વહેતો હતો એવું પ્રતિપાદન થાય છે. ઋષિ કદ્ર્માની તપોભૂમિ , કપિલ મહામુની જન્મભૂમી અને દેવ્હુતીમાંની મોક્ષભુમી છે. પ્રાચીન granth ઔદીચ્ય પ્રકાશ લગભગ ૬૦૦ થી ૭૦૦ વર્ષની સિદ્ધપુરની ગૌરવ્ગથાને સુવર્ણ અક્ષરો થી આલેખી છે.ગુજરાતના છેલામાં છેલા aek ઐતિહાસિક ગ્રંથ તરીકે માન્યતા ઈતિહાસકારોએ આપેલી છે.
રુદયાતે કુરુક્ષેત્રે પુષ્કરે શ્રીસ્થલે તથા
પ્રભાસે પછ્મે તીર્થે પ્ર્છીમી સરસ્વતી (ઋગ્વેદ).
સરસ્વતીના કિનારે વૈદિક સંસ્કૃતિનો વિકાસનો ઈતિહાસ રચ્યેલો છે.પ્રાચીના ઋષિમુનિઓની તપોભૂમિ પર Devashankarbaપા ના તપથી સિદ્ધપીઠ પ્રાસીદ્ધા થયું છે.તેમના દેહ-દર્શનથી શંકરનું સ્વરૂપ આંખમાં samayi જાય છે., શરીર પર કેવળ લંગોટી , ભાસમાં રુદ્રક્ષામાંલા દેદીપ્યમાન છે..
સિદ્ધપીઠ સિદ્ધપુરથી પૂર્વ દિશાએ આવેલું છે.આહીં સરસ્વતીના તીરે પ્રાચીન Aarvardeswar મહાદેવ મંદિર છે.ભગવાન શિવનું શીવ્બ્બન છે. આ બાણની ઉપાસનાના કરી ઋષિમુનીઓએ શિવ સાયુજ્ય મેળવેલું છે. - Siddhpith is spiritually and karmakandic aspact established for welfare of Mankind.Late Devshankarbapa worshiped here and life dedicated for God Shiv/Durga for chant veda,and puran.
www.sidhpurasbgsmd.com find ...
Sidhpur developed by his dedication Bindusarovar,Vateswar Rushi Dhadhichhi) temple, other Medical hub .
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