दिनांक 26/05/2012
औदीच्य बंधु के समस्त पाठकों को धन्यवाद। आप सब इसे पड़ रहे हें , लाभ ले रहे हें । इससे मेरा उत्साह बहुत बड़ा हें । में इसे और अधिक प्रभावशाली बनाने की कोशिश निरंतर करता रहूँगा। पर मुझे आप सबके सहयोग और आशीर्वाद की भी सदेव आवश्यकता रहेगी।
इस साईट को लगभग 6 माह हो रहे हें। इस दोरान इसका लाभ कितना हुआ हें इसकी जानकारी के उद्देश्य से यह आंकडे प्रस्तुत हे। हालाँकि देखने वाले आंकड़ों की तुलना में टिप्पणिया बहुत कम हें । फिर भी संतोष की बात यह हे की सारे विश्व में इसे रूचि से पड़ा/देखा जा रहा हे । सर्वाधिक पसंद की जारही पोस्टों में वर/वधु के विज्ञापन, स्वगत सद्वाक्य , सामयिक लेख ,समाचार-सूचनाये, एवं फोटो एल्बम हें।
इस औदीच्य बंधु की साईट को अधिक लाभकारी बनाने हेतु सुझाव एवं सहायता की हमेशा आवश्यकता हे।
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Audichya Bandhu औदीच्य बंधु http://audichyabandhu .blpgspot .com पाठक एवं पोस्ट सम्बन्धी आंकड़े / जानकारियां दिनांक २५/०५/२०१२ सायं ६ बजे (6 पी . एम्.) पर आधारित |
Audichya Bandhu औदीच्य बंधु • आँकड़े › ऑडियंस
25 मई 2008- 7-00Pm – मई 2012 सांख्यिकी रीफ्रेश करें अब दिन सप्ताह माह हर समय
आज पृष्ठ देखे जाने की संख्या ४२
बीते हुए कल में पृष्ठ देखे जाने की संख्या
७४
पिछले माह पृष्ठ देखे जाने की संख्या १,६७२
अब तक पृष्ठ देखे जाने की संख्या का इतिहास १३,९०३
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देशों के अनुसार पृष्ठ देखे जाने की संख्या
भारत १०,५२८
संयुक्त राज्य अमेरिका १,६४०
थाइलैंड ३९७
रूस ३७४
जर्मनी १०५
संयुक्त अरब अमीरात ७२
सिंगापुर ४१
सऊदी अरब ३५
दक्षिण कोरिया ३१
ऑस्ट्रेलिया ३०
(इस सूचि में इनके अतिरिक्त कनाडा,जापान,अदि कई और भी देश हें जिनमे पाठको की संख्या 30 से कम हे वे दर्ज नहीं किये गए हें।)
ब्राउज़र के अनुसार पृष्ठ देखे जाने की संख्याChrome ६,५९० (47%)
Firefox ३,४८५ (25%)
Internet Explorer २,५६१ (18%)
Opera ८५४ (6%)
Safari ८१ (<1%)
Version ६० (<1%)
chromeframe ५६ (<1%)
Mobile Safari ३२ (<1%)
NokiaBrowser २६ (<1%)
Dolfin १८ (<1%)
ऑपरेटिंग सिस्टम के अनुसार पृष्ठ देखे जाने की संख्या
Windows ११,७६३ (96%)
Linux १२१ (<1%)
Nokia ११५ (<1%)
Macintosh १०५ (<1%)
Android ४१ (<1%)
SAMSUNG १८ (<1%)
Samsung १७ (<1%)
SymbianOS/9.4 १७ (<1%)
iPad १७ (<1%)
Symbian/3 ११ (<1%)
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--- डॉ मधु सूदन व्यास |
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- बहुत बहुत शुभकामनायें सर्व औदीच्य ब्राम्हण समाज का सम्मलेन पर narayani maya 5/24/12 को
- आपकी बात सही हे यह तो होना ही चाहिए और होगा भी धीरे धीरे बहुत कुछ स्वीकार योग्य जो हे वह स्वीकार करना ही होगा| दिनाक २७ मई रविवार को इस बारे में विचार के लिए सभी औदिच्य ब्राम्हणों को आमंत्रित किया हे| आमंत्रण देखे सुचना ( इसी ब्लॉग में) में | कोई भी बात धीरे धीरे समय की मांग पर ही स्वीकार हो पाती हे| वर चाहिए:- पर
- आप ने साईट की सीमा सहस्र ओदिच्य तक सीमित रखी है ,जब की वर्तमान में सभी पञ्च द्रविड़ों ( नागर,प्रश्नोरा,दशोरा,श्रीमाल ओदिच्य ) में सम्बन्ध हो रहे हैं ,यही नहीं आज से साठ वर्ष पहले से भी इस प्रकार के सम्बन्ध होरहे हैं जिनकी समाज में मान्यता है ,इन सभी समाजों के आचार विचार और संस्कार भी परस्पर मेल खाते हैं ,कृपया इस पर पूर्ण विचार करें / वर्तमान समय की मांग के अनुसार अगर यहाँ परिवर्तन करेंगे तो मेरे विचार में अधिक उपुक्त रहेगा , पुष्पेन्द्र पाठक के उत्तर में,बेनामीद्वारा. audichya bandhu mp 5/23/12 को
- प्रत्युत्तर. बेनामी/23/12 को
- समस्याओ के परिप्रेक्ष में ! औदीच्य बन्धु पत्रिका मई २०१२ के सम्पादकीय में श्री ओम ठाकुर जी की सम्पादकीय लेख के बारे में मेरे विचार इस लेख में लिखे हें | यह पत्र भी उन्हें प्रेषति किया जा रहा हे| यह एक ज्वलंत प्रश्न हे| मेरा सभी से अनुरोध हे की इसश्री ओम ठाकुर जी की सम्पादकीय व्यथा को सभी द्यान से पड़े और अपने सुझाव दें | प्राप्त सभी सुझावों को में यथावत औदीच्य बन्धु परामर्श दात्री समिति एवं माननीय अध्यक्ष महोदय के सामने प्रस्तुत कर दूंगा| समस्याओ के परिप्रेक्ष में-- पर
- Dr. Madhu Sudan Vyas 5/9/12 को
- यह आपका प्रश्न नहीं विचार होना चाहिए की इसके लिए क्या क्या किया जाना चाहिए और केसे किया जाना चाहिए? इस बारे में विचार पूर्ण लेख भेज सकतें हें| महिला एवं सम्मान समारोह पर Dr. Madhu Sudan Vyas 5/5/12 को
- 6 अप्रेल २०१२ को उज्जैन में प्रस्तावित महिला सम्मलेन में महिलाओं की ज्वलंत समस्या पर भी सार्थक चर्चा की आशा है ------- सामूहिक यज्ञोपवित / विवाह /परिचय सम्मलेन जैसे आयोजन पर सामाजिक सक्रियता दिखाते समाज लोग /संगठन के पदाधिकारी समाज में फ़ैल रही पारिवारिक विघटन की प्रवत्तियो जैसे टूटते परिवार /क्षय होते संस्कार /बड़ते तलाक प्रकरणों पर कब -किस तरह रोक लगायेगें ................ महिला एवं सम्मान समारोह पर प्रबोध पंड्या 5/4/12 को
- औदीच्य गीत देश में होने वाले औदीच्य सभा और सम्मेलनों में गाया जाना चाहिए ताकि प्रत्येक औदीच्य को अपने औदीच्य होने पर गर्व हो की वह महान ऋषियों की संतान है| औदिच्य गीत पर mohan rawal 4/21/12 को
- कुछ का मानना हे की केवल कुरूतियों पर ही प्रहार किया जाना चाहिए, पर में समझता हूँ , कि कुरीति एक क्रिया हे| जबकि व्यक्ति उस क्रिया को करने वाला कर्ता होता हे | प्रत्येक क्रिया पर पर हुई प्रतिक्रिया का सम्बन्ध स्वाभाविक ही व्यक्ति पर होता हे | अत: केवल कुरीति मात्र पर प्रहार ओपचारिकता होगी| इसका परिणाम शुन्य होगा, ऐसी परिस्थिति में कुरीति हटाने का ढोंग करने से कुरीतियों का निवारण नहीं किया जा सकता| कालांतर में जितने भी सुधारक हुए हें सभी ने इस सत्य को स्वीकार क्या और विरोध के बाद भी द्रड़ता पूर्वक विरोध किया तब ही सती प्रथा जेसी बड़ी कुरीति समाप्त हो सकी थी| छोटी छोटी कुरीतियों के प्रति भी सभी को यही नजरिया रखना ही होगा|म्रत्यु भोज-अनावश्यक परम्परागत रुडियां । पर
- डॉ .साहेब लिखित म्रत्यु भोज सम्बन्धी लेख में " चतुर पंडित ठगने लगे शब्द अत्यंत ही अनावस्यक है ..यह दुराग्रह पूर्ण या अज्ञानता भरी बात की आपसे उम्मीद नहीं थी ..........हा यह भाषा वे लोग इस्तेमाल करसकते है जिनके घर कोई पंडित परंपरा न हो , मतलब निरे संस्कारहीन हो ........कृपया संशोधन करने का कष्ट करे ...... यदि आप भी सहमत हो तो समर्थन करे .....धन्यवाद् के उत्तर में, प्रबोध पंड्याद्वारा. madhusudan vyas 4/12/12 को
- Manish Bhatt प्रकाश जी आप किस दुनिया में है आपको याद करा दू अखिल भारतीय महा सभा का असली स्वरूप तो अब आया है इसके पहले तो औधिच्या समाज सिर्फ उज्जैन और एक परिवार तक ही सिमित था जिसको इस पिटारे से निकाल कर भारत वर्ष में फेले ब्राह्मणों को संगठित करने का काम इतने कम समय में करना एक चमत्कार है नेतृतव शमता जिसमे होती है वो ही ये काम कर सकता है आज औधिच्या महासभा को गाव-ब्लाक-जिला -संभाग-और भारत के प्रदेशो में पहुचाने का काम जैसे हुआ है लगता है कमान किसी परशुराम के पास है और परशुराम राम और माधव एक साथ हो तो ये अंतररास्ट्रीय महासभा हो जायेगा / माधव ने कहा हे परशुराम की बात करना हो तो परशुराम जैसा जिगर होना चहिये / हमें समाज को जोड़ना है तोडना नहीं है सकारात्मक सोच होगी तो सफलता मिलेगी / आज युवा, महिला, वरिष्ट, इकाई का स्वरुप है वो भविष्य में और फेलेगा / पहली बार ऐसा हुआ है की समाजजनो को महासभा के संविधान की जानकारी हुई हे इसके पहले तो महासभा की जानकारी नहीं थी संविधान तो दूर की बात है/ उसमे कमी निकालना और नकारात्मक सोच रखना निंदनीय है अपनी बात रखना है तो सकारात्मक सोच के साथ रखे / संविधान कोईअखिल भारतीय औदीच्य महासभा का संविधान संशोधन पारित पर बेनामी 4/11/12 को
- जीतेन्द्र अखिल भारतीय औदीच्य महासभा का संविधान संशोधन पारित पर jitendra vyas 4/10/12 को
- Madhusudan Vyas जब भी किसी कुरीति पर प्रहार किया जाता हे तब यह नहीं देखा जासकता की हथियार केसा हे? कष्ट तो होता ही हे पर याद रखना चाहिए की 'वेदना पूर्ण प्रसव के बाद ही संतान " का जन्म होता हे| सच्चाई कष्ट तो देती ही हे | पर इस कडवे घूंट को स्वीकार करना ही होगा | अन्यथा कुरीतियों का निवारण केसे होगा? म्रत्यु भोज-अनावश्यक परम्परागत रुडियां । पर
- डॉ .साहेब लिखित म्रत्यु भोज सम्बन्धी लेख में " चतुर पंडित ठगने लगे शब्द अत्यंत ही अनावस्यक है ..यह दुराग्रह पूर्ण या अज्ञानता भरी बात की आपसे उम्मीद नहीं थी ..........हा यह भाषा वे लोग इस्तेमाल करसकते है जिनके घर कोई पंडित परंपरा न हो , मतलब निरे संस्कारहीन हो ........कृपया संशोधन करने का कष्ट करे ...... यदि आप भी सहमत हो तो समर्थन करे .....धन्यवाद् के उत्तर में, प्रबोध पंड्याद्वारा.
- Dr. Madhu Sudan Vyas 4/7/12 को
- डॉ .साहेब लिखित म्रत्यु भोज सम्बन्धी लेख में " चतुर पंडित ठगने लगे शब्द अत्यंत ही अनावस्यक है ..यह दुराग्रह पूर्ण या अज्ञानता भरी बात की आपसे उम्मीद नहीं थी ..........हा यह भाषा वे लोग इस्तेमाल करसकते है जिनके घर कोई पंडित परंपरा न हो , मतलब निरे संस्कारहीन हो ........कृपया संशोधन करने का कष्ट करे ...... यदि आप भी सहमत हो तो समर्थन करे .....धन्यवाद् म्रत्यु भोज-अनावश्यक परम्परागत रुडियां । पर2 प्रत्युत्तर. प्रबोध पंड्या 4/6/12 को
- इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है. म्रत्यु भोज-अनावश्यक परम्परागत रुडियां । पर प्रबोध पंड्या 4/6/12 को
- Thanks. "औदिच्य बंधू" वेव पर नई सुविधाए! पर
- Dr. saab, aapka samaj ke leeye keeya jane wala kam hamesha yaad rakha jayega aapke keeye hue sabhi kam bahut sunder prayas hai aapka dil se abhinandan. Regards के उत्तर में, बेनामीद्वारा.
- audichya bandhu mp 3/20/12 को
- Dr. saab, aapka samaj ke leeye keeya jane wala kam hamesha yaad rakha jayega aapke keeye hue sabhi kam bahut sunder prayas hai aapka dil se abhinandan. Regards "औदिच्य बंधू" वेव पर नई सुविधाए! पर1 प्रत्युत्तर. बेनामी 3/19/12 को
- बहुत अच्छा हे | मालवी होली के ठहाके पर Mukesh Joshi 3/12/12 को
- बहुत सुन्दर सामयिक कविता हे | आओ होली मनाये-नारायणी माया पर
- Dr. Madhu Sudan Vyas3/7/12 को
- धूल-मिटटी फेकने का तात्पर्य हे,"सामूहिक श्रमदान से सफाई में जुटना" । इसी हंसी ख़ुशी में संभव हे प्राचीन काल में कोई अति उत्साही मजाक में सफाई की मिटटी धूल साथियों पर डाल देते हों, और धीरे धीरे यह परम्परा बन गई हो, और सामूहिक सफाई अभियान की यह रचनात्मक बात भुला दी गई हो, और आज वह मिटटी धूल फेकने का "हुडदंग" मात्र बन कर रह गया हे। पर्व-होली-उच्च नीच छुआ छात का भेद भाव भुला कर "सब एक रंग' में दिखना ही होली का असली आनंद हे। पर बेनामी3/7/12 को
- This is a wonderful effort from Dr Madhusudan Ji. के उत्तर में, Hemantद्वारा.
- Dr. Madhu Sudan Vyas 2/24/12 को
- This is a wonderful effort from Dr Madhusudan Ji. "औदिच्य बंधू" वेव पर नई सुविधाए! पर1
- प्रत्युत्तर. Hemant 2/23/12 को
- अब आप टिप्पणी करने के लिए टाइप करे में अंग्रेजी में लिख कर स्पेस दबाते ही हिंदी में लिखकर कापी करके टिप्पणी फॉर्म में पेस्ट कर टिप्पणी हिंदी में भेज सकते हें|"औदिच्य बंधू" वेव पर नई सुविधाए! पर Dr. Madhu Sudan Vyas 2/23/12 को
- सहस्र औदीच्य दर्पण सहस्र औदीच्य समाज , उदयपुर(राजस्थान) के मुख पत्र(वर्ष १७-अंक-१, जनवरी-मार्च २०१२) का यह विश्व भर के औदिच्य बंधुओ के लिए प्रस्तुत हे| भारत भर में कंही भी कोई पत्रिका प्रकाशित होती हे और वह मुझे प्राप्त होती हे तो में इस प्रकार समाज हित में, सर्व सुलभ कर सकूँगा | मधुसुदन व्यास औदीच्य दर्पण-अंक-१ जनवरी-मार्च 2012 परMadhu Sudan Vyas 2/20/12 को
- it most important work,that is must. yah bahut acha kam ho raha hai,is me meri sahamati hai.apne samaj ko udhane ka. वैवाहिक विज्ञापन-वधु चाहिए पर बेनामी 1/11/12 को
- red tube, pandora, limewire daemon tools, pandora, limewire वैवाहिक विज्ञापन-वर चाहिए: पर avinashujn 1/4/12 को
- like this वैवाहिक विज्ञापन-वर चाहिए: पर बेनामी 1/4/12 को
- sw. shri pande ji kushal vytitv ke sath bhumukhi pratibha sampann mahakal ki nagari me sarswati or laxmi ke vard putra the hame goravshali or sobhagyshali he ki unka sanidhy hame prapt hua. Audichya Bandhu (Ptrika) पर pt.Abhishek joshi 12/22/11 को
- भाषाए और बोलियाँ अपने विकास क्रम के साथ निरंतर विकसित और बदलती रही हें| आदिम काल से आज तक की भाषा का क्रम इसी प्रकार चला हे| लगभग प्रत्येक सो किलोमीटर के बाद इनमे परिवर्तन देखा गया हे | आज जेसे जेसे आवागमन के साधन विकसित हुए और संपर्को का दायरा बड़ा वेसे वेसे ही भाषा में तेजी से परवर्तन होने लगा हे| आसान और सर्व सुलभ मिश्रित भाषा सामने आती रही हे | वर्तमान हिंदी का इतिहास भी अधिक पुराना नहीं हे | संस्कृत,पाली आदि भाषा वाली देवनागरी लिपि और क्षेत्रीय बोलिया आज अरबी अंग्रेजी, से मिल कर नई हिंदी बन गई हे वही दूसरी और उर्दू भी बनी हे| इस प्रकार पुराने के अंत के बाद ही नया पोधा लगता हे| पर यदि पुराना पोधा सींचा नहीं जाये तो भी विकास यात्रा रुक जाएगी| इस लिए पुरानी भाषा का सरक्षण तो होना ही चाहिए| डॉ मधु सूदन व्यास भारत की कुल १९८ क्षेत्रीय भाषाए "लुप्त होने के कगार पर” पर
- Dr. Madhu Sudan Vyas11/19/11 को
- बधाई हो व्यासजी , आपका प्रयास से यो संभव हुवो हे | जय हो | आपको आशीर्वाद असे ही मिलता रहे समाज उतरोत्तर प्रगति करतो रे याज प्रभु से प्रार्थना हे | औदिच्य बंधू पर
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