औदीच्य वाणी [वृहद निमाड औदीच्य ब्रह्म समाज का मुख पत्र ]

 औदीच्य वाणी             20/02/2013 
[वृहद निमाड औदीच्य ब्रह्म समाज का मुख पत्र ]
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   बड़ा ही सुखद आश्चर्य हुआ जब आज मुझे कोरियर से इस औदीच्य समाज की एक क्षेत्रीय पत्रिका जो हिन्दी में हे, प्राप्त हुई। सुखद आश्चर्य इसलिए की पिछले दो वर्ष से त्रेमासिक रूप से उज्जैन के इतने पास से प्रकाशित इस पत्रिका हमारी द्रष्टि में नहीं आई। 
   विज्ञापन से रहित प्राप्त 9"बाय11" का 32 प्रष्टों का दीपावली अंक मनोहारी हे। योग संजोग के नाम से वैवाहिक कई युवक-युवतियों की जानकारी से भरपूर स्थाई स्तम्भ तीन प्रष्टों का हे। यह समाज के लिए बहु उपयोगी हे। क्षेत्रीय समाचार, गतिविधियों ओर प्रेरणास्पद लेखों / ओर सूक्तियों से सजा यह अंक प्रकाशको के परिश्रम ओर समाज के प्रति उनके उत्तरदायित्वों के प्रदर्शन का प्रतीक हे। इसकी प्रशंसा की जाना चाहिए। 
  महगाई के इस युग में समाज की पत्रिका प्रकाशित करना जिसमें किसी प्रकार के कोई भी लाभ की आशा नहीं की जा सकती  बड़े साहस का काम हे। यह साहस यह भी दिखाता हे की वे भी समाज के लिए अपनी तरह से 'नया कुछ करने' का माद्दा रखते हें। एसे साहसी ओर परिश्रमी व्यक्तित्वों को केवल प्रशंसा सराहना ही नहीं अपितु सभी प्रकार की वांछित सहयोग भी किया जाना चाहिए। 
जय गोविंद माधव ।




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