श्रीस्थल प्रकाश को समाज के घर-घर का प्रकाश बनाएँ।
सहस्रौदीच्यों के गौरव की गाथा अगली पीढ़ी भी गायें ॥
जीवन संघर्ष रत वे जाति जो अपना इतिहास सुरक्षित रखती हें वे ही ठहर पातीं हें। एक नेत्रहीन व्यक्ति की तरह अल्पसंख्यक और शांति प्रिय जातियाँ इतिहास के माध्यम से ही अपनी उन्नति का मार्ग टटोल सकतीं हें। वर्तमान दादागीरी, दवंगता, और विद्वत जन के प्रति नित नए हो रहे षडयंत्रों के विरुद्ध शुद्ध, सात्विक और प्रताड़ित जातियों को उनके जींस से प्राप्त ज्ञान, बल, को स्मरण कराने के लिए इतिहास से बढ़कर कोई साधन नहीं है।
सहस्रोदीच्य ब्राह्मणो को अपने भविष्य के मार्ग दर्शन हेतु भी इतिहास से बढ़कर कोई विकल्प नहीं। गौरव पूर्ण इतिहास पड़कर निश्चेष्ट पड़े शरीर में भी रक्त उबलने लगता है। यह हमारी ज़िम्मेदारी है की हम अपने अतीत के गोरव पूर्ण इतिहास को पीढ़ी- दर पीढ़ी याद दिलाते रहें। हमको ज्ञात रहे की हम किस विद्वद ऋषि के अंश अपने में धारण किया हुए हें।
सहस्रोदीच्य ब्राह्मणो का यह गौरव पूर्ण इतिहास अभी तक संस्कृत अथवा गुजराती भाषा में भाषांतरित होकर उपलब्ध था। अखिल भारतीय औदीच्य महासभा मध्य प्रदेश इकाई ने भाषान्तर करवा कर औदीच्य ब्राह्मण समाज के कुछ उदार ह्रदय महानुभावों ने आर्थिक सहयोग से समाज के हर वर्ग को समझने योग्य इतिहास उपलब्द्द कराया है। उत्तम दीर्घ जीवी कागज पर छपे, 250 से अधिक प्रष्ट वाले सजिल्द इस ग्रंथ का मूल्य, वास्तविक व्यय के अनुसार 150/- रु रखा गया है ताकि अधिकतम समाज जन तक पहुंचाया जा सके।
प्रकाशन व्यय की राशि कई कारणो से बढ़कर दुगनी हो जाने, रखे जाने से प्रकाशन घाटे की पूर्त्ति हेतु इसकी अधिकतम प्रतियाँ शीघ्र घर घर के अध्ययन और पूजास्थल पर पहुँच सके इस हेतु अन्य सक्षम, उदारमना समाज जनो को आमंत्रित किया जा रहा है की वे समाज के इस गौरव पूर्ण इतिहास को समाज के प्रत्येक घर में स्थापित करने में अपनी भूमिका निर्वाह करें।
जिस प्रकार से कई आयोजनो या संकल्पों के माध्यम से समाज के उदारमन व्यक्ति सद साहित्य , भगवद गीता, श्रीमद भगवद, आदि ग्रंथ वितरित कराते हें, उसी प्रकार से श्रीस्थल प्रकाश जो की औदीच्य ब्राह्मणो के गौरव पूर्ण इतिहास को स्मरण करने के साथ ही ऋषि, वंश गौत्र, कुलदेवी, भेरव, गणेश, शिव, के साथ उनके एक सहस्र पूर्व के निवास के ग्राम/शहर की जानकारी भी देता है, को अपने संबधियों, जाती बंधुओं आदि में वितरित कर पुण्य- लाभ में भागी दार बने। आपको सूचित करते हुए हर्ष होता है की राजकोट के श्री कांतिभाई ठाकर ने 50 से अधिक ग्रंथ वितरण हेतु प्राप्त कर लिए हें। उज्जैन जिला ग्रामीण अध्यक्ष श्री सत्यनारायण जी त्रिवेदी भी 10 हजार से अधिक मूल्य के ग्रंथ प्राप्त कर मालवा से गुजरात तक वितरित कर रहें हें।
वितरण हेतु लिए जाने अथवा इस इसी मूल्य पर प्रदान किए जाने हेतु अग्रिम राशि देकर दस (10) श्रीस्थल प्रकाश ग्रंथ पर दो ग्रंथ एवं पचास (50) ग्रंथ एक साथ लिए जाने पर दस ग्रंथ निशुल्क प्रदान किए जाने का निर्णय लिया गया है। एसे उदारमना समाज सेवकों के नाम धन्यवाद सहित प्रकाशित किए जाते रहेंगे।
समाज जन को इस पुनीत कार्य हेतु सम्मलित होने का आव्हान करते हें। आगे आयें और घर- घर में "श्रीस्थल प्रकाश" की स्थापना यज्ञ में सम्मलित होकर पुण्य लाभ लें। आवश्यकता होने पर नवीन संस्करण भी प्रकाशित किया जा सकेगा।
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प्रकाश दुबे
अखिल भारतीय
औदीच्य महासभा मध्यप्रदेश शाखा
41 विध्या नगर उज्जैन
मप्र============================================
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