उज्जैन
27/7/2014
आओ कुछ करें - शुष्क जीवन के केनवास पर दाम्पत्य जीवन का रंग भरें। |
क्षीरसागर स्थित महामालव औदीच्य धर्मशाला के उज्जैन के वरिष्टतम सदस्यों के आशीर्वाद से भरे हुए इस कार्यक्रम में इन नवयुवको के इस कार्य की प्रशंसा की साथ ही अन्य युवको से भी इस अनुकरणीय कार्य के प्रति विचार करने को आमत्रित किया।
औदीच्य
समाज की अग्रणी महिला राज्य महिला आयोग के सदस्य श्रीमती स्नेहलता उपाध्याय, सूचना आयोग मप्र के आयुक्त श्री हीरालाल जी त्रिवेदी, हाईकोर्ट जबलपुर के पूर्व रजिस्ट्रार श्री के सी शर्मा, अखिल भारतीय औदीच्य महासभा के अध्यक्ष
श्री प्रकाश दुबे , एवं हर समय हर तरह से सहायक समाज की अग्रणी वयोव्रद्ध महिला श्रीमती उर्मिला
शुक्ल के द्वारा दोनों युवकों का सम्मान किया गया।
पूर्व समय में हमने सती जैसी कई अमानवीय प्रथाओं
से मुक्ती पाई थी। परंतु विधवा युवती को नया जीवन देने में ब्रांह्मण समाज पिछड़ रहा
था । अब विधवा विवाह, परित्यक्ता का पुनर्विवाह
आदि के प्रति भी समाज में सौच बदला है। आज विधवा या परित्यक्ता से विवाह करने वाले
युवक को भी सम्मानित होते हुए देखना औदीच्य
ब्राह्मण समाज के युवकों के मन में जमे संशयों की ‘लोग क्या
कहेंगे?’ आदि जैसी सौच को हटाने वाला सिद्ध होगा। सबको इस कार्यक्रम
से यह संदेश दिया गया है, की अब सब लोग एसे कार्य को अच्छा
कहेंगे, प्रशंसा करेंगे, आपको सम्मानित
करेंगे।
देखे लिंक- आओ कुछ करें - शुष्क जीवन के केनवास पर दाम्पत्य जीवन का रंग भरें। |
एसे
अब्दाल पूरा उज्जैन निवासी 38 वर्षीय नवयुवक श्री अनुराग पंडया जिनने नरसिहगढ़
निवासी औदीच्य समाज की एक वेधव्य पीड़ित दो पुत्री की माता, से साथ विवाह कर उन्हे जीवन भर
के लिए संरक्षण दिया। उनके सूने जीवन में आशाओं
के रंग भर दिये।
इसी
के साथ युवक 31 वर्षीय श्री पीयूष आचार्य का भी सम्मान किया, जिनने अविवाहित युवतियों के प्रस्ताव होने के बाद भी, एक परित्यक्ता तलाक़शुदा के जीवन को रंगों से भर दिया।
जब
एक अविवाहित युवक परित्यक्ता से विवाह करता है, तो यह
संदेश देता है, की अरे त्यागने तलाक देने वाले मूर्ख तुमने लक्ष्मी का अपमान किया है, तू जीवन भर संतोष लक्ष्मी न पा सकेगा।
कम पड़ी है, इसलिए तलाक, सुंदर
नहीं इसलिए तलाक, ससुराल से सम्मान नहीं, इसलिए तलाक, शक है इसलिए तलाक, दहेज कम दिया इसलिए तलाक, क्या यह मज़ाक नहीं? अग्नि के सामने फेरे लेते समय सौगंध को भूलकर केवल अहंकार को सर्वोपरि
मान त्याग कर दिया।
कोई
भी व्यक्ति सम्पूर्ण नहीं होता, यदि होता भी है, तो केवल किस्सों कहानियों या फिल्मों में, किसी में
यदि कमियाँ हें, तो हम इसके साथ ही जीना क्यों न सीख लें। कब तक सम्पूर्ण को तलाशेंगें। और भाग्य को ठोकर
लगाएंगे।
सभी
वरिष्टि सदस्यों ने करतल ध्वनि से, समाज के अविवाहित विशेषकर अधिक आयु के नवयुवकों से आग्रह किया की, वे भी आगे आयें विधवा, परित्यक्ता को अपनाएं, समाज की पीड़ित दुखी कन्याओं के
जीवन में रंग भरें, सारा समाज अब आपके साथ है।
इस
कार्यक्रम के साथ ही उज्जैन की एसी 29 महिलाओं
जिनकी केवल एक या दो ही पुत्रियाँ हें, और पुत्र
की कामना से हट कर उन्हे ही अपना सर्वस्व मान लिया, का भी अभिनंदन
किया गया।
वर्तमान
में सारे देश में पुरुषों की तुलना में स्त्रियॉं की संख्या में आश्चर्यजनक रूप से
कमी आई है। अन्य प्रदेशों की तुलना में हमारे क्षेत्र में फिर भी अनुपात काफी ठीक
है, फिर भी अंतर तो है। आज भी पुत्र की कामना से उद्विग्न लोगों द्वारा, गर्भ में कन्या भ्रूण की परीक्षा करवा कर उन्हे हटाया जा रहा है। एसी
स्थिति को बदलने के लिए कन्याओं के माता-पिता का सम्मान किया जाना, एक अच्छी परंपरा बनाने जा रही है, इससे समाज में यह
संदेश जाएगा की केवल कन्या होना बड़ा ही सौभाग्यशाली है।
इस
कार्यक्रम को सम्पन्न करने के लिए वरिष्ठ जन समिति के अध्यक्ष श्री सुरेश चंद्र जी
उपाध्याय, उपाध्यक्ष द्वय महेश ज्ञानी एंव डॉ मधु सूदन व्यास, सचिव प्रमोद जौशी, एवं अन्य पदाधिकारी श्री राजेन्द्र
शर्मा, मांगिलाल मेहता, दिनेश चंद्र आचार्य, जगदीश चंद्र आचार्य, के साथ समिति के समन्वयक श्री उद्दव
जौशी, एवं श्री प्रकाश जी दुबे, सहित उज्जैन
की महिला महासभा शाखा की श्रीमति श्लेषा व्यास एवं श्रीमति पूर्णिमा दवे का प्रभावशाली सहयोग रहा।
जय
गोविंद माधव ।
डॉ
मधु सूदन व्यास
उज्जैन
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