युवाओं ने बढाये
प्रगति के कदम-सम्मान से अभिभूत माताऐं।- उद्दव जोशी
बेटियाँ समाज की धरोहर होकर हमें अपनी बेटियों पर गर्व है। आज बेटियों ने ही हमें सम्मान दिलाया है। यह उदगार थे उन माताओं कऐ जो सहस्त्र औदीच्य समाज वरिष्ठजन समिति उज्जैन व्दारा आयोजित दिनांक 27 जुलाई 2014 को महामालव औदीच्य धर्मशाला क्षीरसागर उज्जैन में मातृशक्ति एवं सामाजिक प्रगति के संवाहकों के सम्मान समारोह में सम्मान हेतु उपस्थित थी।
यह आयोजन श्रीमती स्नेहलता उपाध्याय,सदस्य मप्र महिला आयोग केे मुख्य आतिथ्य एवं श्रीमती उर्मिला शुक्ल, वरिष्ठ समाज सेविका,श्री के.सी.शर्मा, से.नि.रजिस्टार हायकोर्ट जबलपुर,श्री हीरालाल जी त्रिवेदी, सूचना आयुक्त म. प्र. के विशिष्ठ आतिथ्य में सम्पन्न हुआ! इष्टदेव श्री गोविन्द माधव के चित्र पर अतिथियों व्दारा माल्यार्पण कर दीप ज्योति प्रज्वलित की गई। समिति अध्यक्ष श्री सुरेशचन्द्र उपाध्याय एवं समिति सदस्या श्रीमती इन्दिरा त्रिवेदी एवं श्रीमती इन्दिरा जोशी व्दारा अतिथियों का पुष्पहार पहना कर स्वागत किया गया!
यह आयोजन श्रीमती स्नेहलता उपाध्याय,सदस्य मप्र महिला आयोग केे मुख्य आतिथ्य एवं श्रीमती उर्मिला शुक्ल, वरिष्ठ समाज सेविका,श्री के.सी.शर्मा, से.नि.रजिस्टार हायकोर्ट जबलपुर,श्री हीरालाल जी त्रिवेदी, सूचना आयुक्त म. प्र. के विशिष्ठ आतिथ्य में सम्पन्न हुआ! इष्टदेव श्री गोविन्द माधव के चित्र पर अतिथियों व्दारा माल्यार्पण कर दीप ज्योति प्रज्वलित की गई। समिति अध्यक्ष श्री सुरेशचन्द्र उपाध्याय एवं समिति सदस्या श्रीमती इन्दिरा त्रिवेदी एवं श्रीमती इन्दिरा जोशी व्दारा अतिथियों का पुष्पहार पहना कर स्वागत किया गया!
स्वागत भाषण एवं अतिथि परिचय श्री प्रकाश दुबे, ने देते हुए अपने उद्बोधन में बेटियों की महत्ता को परिभाषित कर बेटियों के प्रति लोगों की मानसिकता का उदाहरण देते हुए कहा कि यदि किसी के यहाँ लडका हो तो वे खुश होकर कहेगें बेटे के यहाँ बेटा हुआ है और यदि लडकी हुई तो धीमे से कहेगें बहू को लडकी हुई है । बेटियों के प्रति हमें ऐसी मानसिकता को त्यागना होगा!
वरिष्ठजन समिति के अध्यक्ष श्री सुरेशचन्द उपाध्याय ने अपने उद्बोधन में समिति व्दारा शिक्षा, स्वास्थ्य, सेवा और संस्कार के क्षेत्र में किए जा रहे कार्यो की विस्तृत जानकारी देकर भविष्य की योजनाओं को भी सामने रखा । आपने कहा कि समिति बेटियों की माताओं एवं सामाजिक प्रगति के संवाहकों का सम्मान कर अपने को गौरवान्वित महसूस कर रही है।
इसके पश्चात उन 29 माताओं के सम्मान का वह अविस्मरणीय क्षण आया जिनके एक या दो बेटियाँ थी। कार्यक्रम के संचालक श्री रवि ठक्कर,ने, संचालन की अपनी विशिष्ठ शैली से श्रोताओं को बांधे हुए थे ने कहा ‘‘माँ मन्दिर का व्दार, माँ मस्जिद की मीनार,माँ भावों की भूखी, माँ को सबका प्यार चाहिए। माँ घर की धडकन, माँ को सुखी परिवार चाहिए‘‘। अपनी इस भावभिनी ओजस्वी वाणी से उन माताओं का अभिवादन कर सम्मान हेतु आव्हान किया। अतिथियों व्दारा ऐसी माताओं को पुष्पगुच्छ के साथ प्रेरणादायी स्मृति चिन्ह जिस पर बेटी का चित्र अंकित होकर बेटी की महत्ता पर हृदयग्राही पंक्तियाँ अंकित थी, प्रदान किए!
बेटियों की महत्ता पर श्रीमती रजनी पण्ड्या,श्रीमती प्रतिभा अवस्थी, श्रीमती उमा आचार्य एवं श्रीमती सुनिता शुक्ला ने अपने ओजस्वी उद्बोधन में कहा कि हम सभी माताओं को अपनी बेटियों पर गर्व है! वे हमारे लिए बेटों से भी ज्यादा करीब हैं! बेटियों की सुरक्षा एवं उन्हे मानसिक एवं शारीरिक रूप से तैयार करने की भी चर्चा की ! सभी ने काफी उपयोगी बाते बताई जिनका उपस्थित सदन ने करतल ध्वनि से स्वागत किया!
डॉ मधुसूदन व्यास ने संचालन करते हुए कहा कि समाज के युवाओं ने भी लीक से हट कर प्रगति के पथ पर अपने कदमों को गति दी है। अधिक उम्र और अविवाहित जीवन शायद सबसे ज्यादा कष्टप्रद होता है। इसी कारण ‘‘लोग क्या कहेगे ‘‘ को तिलाजंली देकर हमें हमारे जीवन के बारे में क्या अच्छा करना है। इसी को आधार बना कर महाकाल की नगरी के युवा पीयुष आचार्य ने परित्यक्त जीवन से संघर्षरत श्रीमती पुनम को अपनी अर्धांगिनी बनाया और श्री अनुराग पण्ड्या ने वैधव्य जीवन विता रही श्रीमती अनुष्का को अपना जीवन साथी बनाया! दोनों युवाओं ने, अपनी अर्धागिनीयों के जीवन में खुशियों के रंग भर कर साहसिक कदम बढाया!
श्री पीयुष आचार्य ने अपने उदगार प्रगट करते हुवे कहा कि हमे जमाना क्या कहेगा को नजर अन्दाज कर अपने जीवन में सुख के रंग भरने के लिए स्वयं को सोचना और प्रयास करना होगा । अधिक उम्र का भार लेकर उदासी भरा जीवन बीताने के बजाय उन युवा युवतियों के जीवन में इन्द्रधनुषी रंगों को उकेरना ज्यादा अच्छा है जो उदासी का जीवन जी रहे है।
इस अवसर पर कर्मठ कार्यकर्ता श्रीमती श्लेषा व्यास एवं पूर्णिमा दवे का शाल श्रीफल से सम्मान श्रीमती चन्द्रिका ज्ञानी व्दारा किया गया। इसके साथ ही श्रीमती स्नेहलता उपाध्याय एवं श्रीमती उर्मिला शुक्ल को समिति अध्यक्ष श्री सुरेशचन्द्र उपाध्याय ने शाल श्रीफल एवं पुष्पहार भेंट कर सम्मानित किया ! इस अवसर पर श्रीमती उर्मिला शुक्ल ने समिति की सक्रियता,पारदर्शिता और सामन्जस्यता से प्रभावित होकर रू. 50,000/- का चेक प्रदान किया। इसके पूर्व भी आपने समिति को रू.1,50,000/-की राशि प्रदान की। समिति आपकी इस सहयोगात्मक भावना को नमन करती है।
श्री हीरालाल जी त्रिवेदी, श्रीमती उर्मिला शुक्ल, श्री नवीन भाई आचार्य एवं श्रीमती स्नेहलता उपाध्याय ने सदन को संबोधित करते हुवे बेटियों को मानसिक एवं शारीरिक रूप से ताकतवर बनाने,संस्कारित करने एवं बहु को बेटी के रूप में देखने बात कहते हुवे कहा कि बेटियां दो परिवारों को सम्मान दिलाते हुवे माता पिता की सेवा का कोई अवसर नहीं छोडती है ! आपने भ्रुण हत्या के बारे में भी विस्तृत जानकारी दी!
आभार प्रदर्शन श्री महेश ज्ञानी उपाध्यक्ष व्दारा किया गया ! इस कार्यक्रम में सक्रिय भूमिका श्री प्रमोद जोशी, नवीन ठक्कर, ओमप्रकाश पण्ड्या, सोहन पण्ड्या, प्रेमशंकर पण्ड्या, शरद त्रिवेदी, महेश व्यास,निशिकान्त व्यास, जगदीश व्यास, रामेश्वर पण्ड्या, मांगीलाल मेहता, विजय पण्ड्या, गिरीश व्यास, श्रीमती सुषमा व्यास, निशा रावल, मंजु पण्ड्या, मंजु मेहता, मंजुला जोशी, मधुलिका व्यास, रमा पण्डया की रही। कार्यक्रम में सत्यनारायण पाठक, सत्यनारायण त्रिवेदी, बालकृष्ण पण्ड्या, गोविन्दसिंह पण्ड्या, सत्यनारायण पाण्डे आदि वरिष्ठजन एवं समाज की महिलाये उपस्थित थे। स्वल्पाहार के पश्चात कार्यक्रम समाप्त हुआ।
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