चिन्तकों एवं विव्दानों की द्रष्टि में उपवास का महत्व -'आत्मिक उत्थान के लिए उपवास आवश्यक है।
प्यूरिंगटन
प्यूरिंगटन
यदि आप स्वास्थ्य,यौवन,जीवन का आनंद सौंदर्य,विश्वास,शक्ति जैसी अमूल्य निधियां चाहते हैं तो उपवास करना होगा । उपवास से मनुष्य की नैतिक व आध्यात्मिक उन्नति होती है। नैसर्गिक बुध्दि जाग्रत होती है और वह प्रेम की विशालता का अनुभव कर पाता है।
यूस्टोन माईलस
यूस्टोन माईलस
कभी कभी एक दिन के लिए उपवास एक उत्तम योजना है । इससे संयम और जितेन्द्रियता में सहयोग मिलता है। पाचन क्रिया को विश्राम प्राप्त होता है और शरीर में संचित मल को बाहर निकाल देता है।
महात्मा गांधी
महात्मा गांधी
यदि कब्ज,रक्त की कमी,ज्वर,अपच,सिरदर्द,वायु के दर्द,जोडों के दर्द,भारीपन,उदासीनता और चिन्ता जैसी शिकायतें हो तो अवश्य उपवास किया जावे।
सुश्रुत [आयुर्वेद]
सुश्रुत [आयुर्वेद]
जिस व्यक्ति की जठराग्नि मंद पड गई हो और पाचन यंत्र ठीक काम न कर रहा हो तो लंघन का सहारा लेना चाहिए जिससे अग्नि उदीप्त होती है और दोष जल जाते हैं।
भाव प्रकाश [आयुर्वेद]
भाव प्रकाश [आयुर्वेद]
उपवास से भुख बढती है ,शरीर हलका होता है ,जठराग्नि तीव्र होकर रोग नष्ट होते हैं ।
डा; अपटन सिक्लेयर
डा; अपटन सिक्लेयर
उपवास को मैं यौवन की स्थिरता के लिए सर्वोत्तम उपाय मानता हूं । उपवास एक प्राक्रतिक विधि है जिसके माध्यम से रोग निव्रत होते हैं।
धर्म
धर्म
उपवास हमारे धर्म का एक अंग है । आज भले ही धार्मिक विधानों की उपेक्षा हो किन्तु यह सर्वमान्य तथ्य है कि शारीरिक,मानसिक,आत्मिक स्वास्थ्य,बल तथा स्थिरता के लिए उपवास एक प्राक्रतिक वैज्ञानिक प्रणाली है।
उपवास शक्ति का भण्डार
उपवास शक्ति का भण्डार
उपवास के माध्यम से स्वाध्याय,मनन,चिन्तन, ध्यान आदि जो भी साधनाऐं की जाती है वे मन को प्रभावित करती है। हमारे आन्तरिक शत्रु जो शारीरिक व आत्मिक द्रष्टि से हमें खोखला बना रहे हैं उपवास से उन पर विजय प्राप्त होती है।
अधिक खाने से आलस्य और निद्रा अपना डेरा जमा लेते हैं । शरीर व मस्तिष्क में भारीपन का अनुभव होता है। भरी वस्तु का झुकाव सदैव नीचे की ओर होने से शारीरिक ढांचा अस्त व्यस्त हो जाता है। क्षमता से अधिक भोज्य पदार्थ लेना असहय और कष्टदायक होता है।
विश्राम प्रक्रति का स्वाभाविक नियम है । दिन में कार्य करने से हम जितनी शक्ति का व्यय करते हैं ,रात्रि में विश्राम कर उतनी शक्ति को उपार्जित कर लेते हैं। इसी प्रकार यदि पेट को विश्राम नहीं दिया तो वह अस्वस्थ्य हो जावेगा ,शरीर को रूग्ण बना देगा और हमारे साथ असहयोग करेगा । इसलिए उपवास के माध्यम से पेट के अवयवों को विश्राम देना अति आवश्यक है। उपवास केवल जल पर निराहार रहकर भी किया जाता है अथवा दूध,फल,छाछ आदि फलाहारी वस्तुऐं ग्रहण कर भी किया जाता है । हमेशा याद रखें,उपवास कर स्वस्थ्य रहें ।
अधिक खाने से आलस्य और निद्रा अपना डेरा जमा लेते हैं । शरीर व मस्तिष्क में भारीपन का अनुभव होता है। भरी वस्तु का झुकाव सदैव नीचे की ओर होने से शारीरिक ढांचा अस्त व्यस्त हो जाता है। क्षमता से अधिक भोज्य पदार्थ लेना असहय और कष्टदायक होता है।
विश्राम प्रक्रति का स्वाभाविक नियम है । दिन में कार्य करने से हम जितनी शक्ति का व्यय करते हैं ,रात्रि में विश्राम कर उतनी शक्ति को उपार्जित कर लेते हैं। इसी प्रकार यदि पेट को विश्राम नहीं दिया तो वह अस्वस्थ्य हो जावेगा ,शरीर को रूग्ण बना देगा और हमारे साथ असहयोग करेगा । इसलिए उपवास के माध्यम से पेट के अवयवों को विश्राम देना अति आवश्यक है। उपवास केवल जल पर निराहार रहकर भी किया जाता है अथवा दूध,फल,छाछ आदि फलाहारी वस्तुऐं ग्रहण कर भी किया जाता है । हमेशा याद रखें,उपवास कर स्वस्थ्य रहें ।
संकलन- उद्धव जोशी
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