त्यौहार एवं व्रत का उद्देश्य- वर्तमान परिपेक्ष्य में|
हमारे
देश में बच्चों से लेकर बूढ़ों तक बिना लिंग भेद के, उत्सव-
त्योहार का आगमन जन मानस को बड़े
ही आनंद और उल्लास से भर देता है, जितना बड़ा त्यौहार उतना
बड़ा आनंद का अवसर होता है|
यूँ तो वर्ष भर प्रतिदिन कोई न कोई व्रत और त्योहार सनातन धर्म में
सम्मलित है| पूर्व काल से ही, वर्षाकाल में अनेक प्राकृतिक समस्यायें विशेषकर आवागमन की, कृषि कार्य भी लगभग कम
हो जाता है, इसके चलते अधिकांश व्यक्ति, विशेषकर महिलाओं के पास खाली समय अधिक रहता था|
यह
प्रमाणित है कि "खाली दिमाग शैतान का
घर".
इसलिए जैसा की कहा जाता है की "व्यस्त रहो मस्त रहो"|
जब व्यस्तता नहीं होगी तब अनावश्यक विचार मष्तिष्क (खुराफातें) में उत्पन्न होंगी जिससे अनावश्यक संकट, विरोध आदि होने लगेंगें| अतः एक प्रकार से त्योहार व्यस्त रखने के एक प्रबल रास्ता रहा है|
इसलिए जैसा की कहा जाता है की "व्यस्त रहो मस्त रहो"|
जब व्यस्तता नहीं होगी तब अनावश्यक विचार मष्तिष्क (खुराफातें) में उत्पन्न होंगी जिससे अनावश्यक संकट, विरोध आदि होने लगेंगें| अतः एक प्रकार से त्योहार व्यस्त रखने के एक प्रबल रास्ता रहा है|